कैलिफोर्निया की सीनेट समिति ने जातिगत भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस तरह यह बिल पास होने के एक कदम करीब पहुंच गया है। भारतीय अमेरिकी व्यापारिक और अन्य संगठनों के कड़े विरोध के बीच पिछले महीने यह विधेयक पेश किया गया था। यह पहला मौका है जब किसी अमेरिकी राज्य की विधायिका ने इस तरह के बिल पर विचार कर रही है।
California Senate Judiciary committee votes unanimously (8-0) to pass the caste discrimination bill in California. A major set back to Hindu supremacist diaspora group in America. pic.twitter.com/8M597VPw4Z
— Ashok Swain (@ashoswai) April 25, 2023
कैलिफोर्निया सीनेट ज्यूडिशियरी कमेटी ने सर्वसम्मति से विधेयक को मंजूरी दी है। अब इसे विचार के लिए अगली कमेटी के पास भेजा जाएगा। यदि बिल पारित हो जाता है तो राज्य के भेदभाव-विरोधी कानूनों में जाति को भी संरक्षित श्रेणी के रूप में जोड़ दिया जाएगा। अमेरिका के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में जाति के आधार पर भेदभाव करना अवैध घोषित हो जाएगा।
इससे पहले अमेरिका के सिएटल शहर प्रशासन ने जाति आधारित भेदभाव पर प्रतिबंध का ऐतिहासिक कानून बनाया था। यह प्रस्ताव इस साल की शुरुआत में भारतीय अमेरिकी नेता क्षमा सावंत ने पेश किया था। सिएटल इस तरह का कानून बनाने वाला दक्षिण एशिया के बाहर पहला शहर है।
पिछले महीने इस बिल को पेश करने वाली प्रांतीय सीनेटर आयशा वहाब ने कहा कि हमने भेदभाव के ऐसे रूप को उजागर किया है जिसके बारे में बहुत से लोगों को पता भी नहीं चल पाता था। उन्होंने कहा कि यह बिल किसी विशिष्ट समुदाय या धर्म को टारगेट नहीं करता। बिल के विरोधियों का यह कहना गलत है कि इससे हिंदुओं और भारतीय मूल के लोगों को परेशानी होगी। बता दें कि आइशा राज्य से सीनेट के लिए चुनी गईं पहली मुस्लिम अफगानी अमेरिकी सीनेटर हैं।
इस विधेयक के विरोधियों का कहना है कि यह अगर कानून बना तो मंदिरों और छोटे व्यापारियों के खिलाफ जातिगत भेदभाव के मुकदमों की संख्या काफी बढ़ जाएगी जिससे उनकी छवि और व्यापार दोनों प्रभावित होंगे।