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भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसी ने क्यों कहा- अमेरिकी सिख खालिस्तानी हिंसा के खिलाफ

बीते कुछ महीनों में दुनिया के कुछ देशों में खालिस्तानियों की भारत विरोधी गतिविधियां और प्रतिरोध मुखर हुआ है। इसकी कृष्णमूर्ति पहले भी आलोचना कर चुके हैं।

इलिनोइस से भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसी राजा कृष्णमूर्ति का कहना है कि खालिस्तान की नुमाइंदगी करने वाले लोग बड़े परिप्रेक्ष्य में अमेरिकी सिखों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। हालांकि कनाडा, अमेरिका, यूके और ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानियों की हरकतों को कृष्णूर्ति चिंता का सबब अवश्य मानते हैँ।

कृष्णमूर्ति का कहना है कि खालिस्तानियों की गतिविधियां कुछ ही मुल्कों में हैं और उनका अधिकांश आंदोलन सोशल मीडिया पर ही सीमित है। सैन फ्रांसिस्को में भारतीय दूतावास पर हुए हमले और अन्य देशों में भारत विरोधी हालिया घटनाओं के मद्देनजर खालिस्तानियों की गतिविधियों को कृष्णमूर्ति ने चिंताजनक मसला माना है।

बीते कुछ महीनों में दुनिया के कुछ देशों में खालिस्तानियों की भारत विरोधी गतिविधियां और प्रतिरोध मुखर हुआ है। इसकी कृष्णमूर्ति पहले भी आलोचना कर चुके हैं। हाल ही में जब अमेरिका में भारतीय दूतावास पर हमला हुआ तो उसी संदर्भ में उनसे पूछा गया था कि खालिस्तानियों की गतिविधियां किस हद तक चिंता की बात हैं और उनका कितना असर है? बात यह भी उठी कि खालिस्तानियों की गतिविधियां किसी एक स्थान तक सीमित नहीं हैं। ब्रिटेन में इस तरह की गतिविधियों के बाद चिंता हुई जबकि वहां के पीएम सुनक की जड़े भारत से जुड़ी हुई हैं। यह तनाव अमेरिका तक आया।

इस मसले पर कृष्णमूर्ति का साफ मानना है कि खालिस्तानी जमात बड़ी नहीं है। दूसरे, खालिस्तानी वृहत दृष्टि और संख्या के संदर्भ में अमेरिकी सिखों के विचारों और सोच की नुमाइंदगी नहीं करते। मूर्ति को यकीन हैं कि बहुसंख्यक भारतीय और अमेरिकी सिख उस हिंसा और असहिष्णुता का प्रतिरोध करते हैं जिसका यह अल्पसंख्यक समुदाय प्रसार कर रहा है।

जब मुर्ति से पूछा गया कि खालिस्तानियों को जो आर्थिक मदद मिलती है और उनकी गतिविधियों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो तनाव कायम हुआ है उसे लेकर आप क्या सोचते हैं, तो कृष्णमूर्ति ने टकरावों के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया और साथ ही कहा कि वह 'किल इंडिया' जैसे हिंसक और असहिष्णु अभियानों की कड़ी निंदा करते हैं।

गौरतलह है कि खालिस्तान टाइगर फोर्स के मुखिया निज्जर की कनाडा में हत्या के बाद खालिस्तानियों ने कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में 'किल इंडिया' मुहिम चलाई थी जिसमें अमेरिका और ब्रिटेन सहित तमाम देशों में भारतीय राजनयिकों और उच्च अधिकारियों को धमकी दी गई थी। अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू भी खालिस्तानियों के निशाने पर रहे हैं।

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