ब्रिटेन के प्रमुख मीडिया संस्थान बीबीसी के एक ट्विटर अकाउंट को मंगलवार सुबह भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया। यानी इस अकाउंट पर किए जाने वाले अपडेट्स को भारत में यूजर्स नहीं देख पा रहे थे। हालांकि कई घंटों के अंतराल के बाद अकाउंट बहाल कर दिया गया। बीबीसी का यह आधिकारिक अकाउंट ‘@bbcnewspunjabi’ नाम से है जहां पंजाबी भाषा में बीबीसी की ओर से खबरें ट्वीट की जाती हैं।
बीबीसी ने दोपहर 3:24 मिनट पर अपने @bbcnewspunjabi अकाउंट पर ट्वीट करते हुए बताया कि कई घंटों के निलंबन के बाद बीबीसी न्यूज पंजाबी का ट्विटर अकाउंट बहाल कर दिया गया है। इस अकाउंट पर मंगलवार सुबह से भारत में विदहेल्ड लिख आ रहा था लेकिन अब सारा कंटेंट भारत में भी देखा जा सकता है। दरअसल @bbcnewspunjabi नाम के इस अकाउंट को ट्विटर पर खोलते ही एक संदेश आ रहा था जिसमें लिखा था कि यह अकाउंट कानूनी मांग के चलते भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
ट्विटर की इस कार्रवाई के पीछे की वजह अभी तक साफ नहीं हो पाई है। हालांकि बीबीसी के अनुसार इस मामले पर भारत सरकार की ओर से उसे जवाब में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रद्यौगिकी मंत्रालय ने बीबीसी पंजाबी के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने का कोई निर्देश जारी नहीं किया था। यह भी कहा गया कि बीबीसी की शिकायत को ट्विटर के पास भेज दिया गया है और स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है। बीबीसी चाहे तो सीधे ट्विटर से भी संपर्क कर सकता है।
बीबीसी पर ये कार्रवाई ऐसे समय हुई है जब स्वयंभू सिख उपदेशक और खालिस्तान विचारक अमृतपाल सिंह की भारतीय पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है और इस बीच बीबीसी का @bbcnewspunjabi ट्विटर अकाउंट बंद हुआ है। पिछले हफ्ते पंजाब के कई पत्रकारों और सिख समुदाय के प्रमुख सदस्यों के ट्विटर खातों को भी भारत में रोक दिया गया था।
पंजाब पुलिस इन दिनों अमृतपाल सिंह समेत उसके समर्थकों की धरपकड़ में लगी हुई है। हाल ही में पंजाब पुलिस ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की थी जिसके बाद कट्टरपंथी संगठन वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह के कई समर्थकों को गिरफ्तार किया गया था। अमृतपाल पुलिस की पकड़ से बचने में कामयाब हो गया और अभी तक फरार है। माना जा रहा है कि वह नेपाल में है और इसके चलते नेपाल प्रशासन ने भी अलर्ट जारी किया है।
आपको बता दें कि अमृतपाल सिंह पर कार्रवाई के बाद से ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन में खालिस्तानी समर्थकों के प्रदर्शन जारी हैं। कई जगह हिंसक प्रदर्शन भी देखने को मिले हैं। समर्थक पत्रकारों से लेकर भारतीय प्रवासियों के साथ भी हिंसा करते हुए दिखाई दिए हैं।