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अब विदेशी वकील भी लड़ सकेंगे भारत में केस, इन शर्तों के साथ मिली मंजूरी

विदेशी वकीलों को भारत में प्रैक्टिस करने के लिए बीसीआई के यहां रजिस्ट्रेशन कराना होगा। विदेशी वकील 25 हजार डॉलर देकर और लॉ फर्म 50 हजार डॉलर देकर रजिस्ट्रेशन करा सकेगी। ये रजिस्ट्रेशन 5 साल के लिए वैध होंगे।

सांकेतिक तस्वीर (साभार सोशल मीडिया)

अब विदेशी वकील भी भारत में वकालत कर सकेंगे। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) कुछ शर्तों के साथ विदेशी वकीलों और विदेशी कानून कंपनियों के लिए कानूनी प्रैक्टिस के दरवाजे खोलने के लिए राजी हो गया है। नए नियमों के अनुसार विदेशी वकील और कंपनियां फिलहाल भारत में सिर्फ गैर विवादित मामलों में ही पैरवी कर पाएंगी। उन्हें अंतरराष्ट्रीय कानूनों, अंतरराष्ट्रीय कानूनी मसलों और मध्यस्थता से जुड़े मामलों में ही मुकदमा लड़ने की इजाजत होगी।

भारत में वकीलों की शीर्ष संस्था बार काउंसिल ऑफ इंडिया इससे पहले किसी भी रूप में विदेशी वकीलों और विदेशी कानून कंपनियों के भारत में प्रवेश के खिलाफ थी। हालांकि अब विचार विमर्श के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स फॉर रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फॉरेन लायर्स एंड फॉरेन लॉ फर्म्स इन इंडिया 2022 को नोटिफाई कर दिया गया है। इसमें विस्तार से बताया गया है कि विदेशी वकील किन मामलों में भारत में पैरवी कर पाएंगे।

विदेशी वकीलों को भारत में प्रैक्टिस करने के लिए बीसीआई के यहां रजिस्ट्रेशन कराना होगा। ये रजिस्ट्रेशन तयशुदा फीस देकर कराया जा सकेगा। विदेशी वकील के रजिस्ट्रेशन की फीस 25 हजार डॉलर होगी जबकि लॉ फर्म 50 हजार डॉलर देकर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेगी। ये रजिस्ट्रेशन 5 साल के लिए वैध होंगे। वैधता खत्म होने से 6 महीने पहले इसे रिन्यू कराया जा सकेगा।

बीसीआई ने अधिसूचना में कहा है कि ये नियम अच्छी तरह से परिभाषित, विनियमित और नियंत्रित तरीके से पारस्परिकता के सिद्धांत पर आधारित हैं। विदेशी वकील और कंपनियां नियंत्रित और विनियमित रूप में भारत में प्रैक्टिस कर पाएंगी। इससे भारत में वकालत की मौजूदा प्रक्रिया पर बुरा असर नहीं पड़ेगा। यह भारत और विदेशी दोनों वकीलों के लिए फायदेमंद रहेगा। इन नियमों से भारत को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता का केंद्र बनाने में मदद मिलेगी।

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