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विशेष सीरीज: अभिशप्त नगरी का आभास कराती रही है श्रीराम की अयोध्या

वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र सिंह पिछले 45 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं। उन्होंने देश के प्रमुख समाचार पत्रों में कार्य किया है। अयोध्या की दो प्रमुख घटनाओं 1990 में गोलीकांड व 1992 में विवादित ढांचे के विध्वंस के वह चश्मदीद गवाह रहे हैं। अयोध्या प्रकरण पर पढ़िए श्री सिंह का ‘आंखों-देखा’ हाल।

धार्मिक नगरी अयोध्या वैसे तो पूरे विश्व में भगवान राम की जन्मस्थली और बाबरी मस्जिद विवाद के कारण जानी जाती है। अयोध्या की एक तस्वीर वह भी है, जिसमें अनेक पंथ, सम्प्रदाय और धर्म की संस्कृति व विरासत बसती है। अयोध्या का नाम आते ही भगवान श्रीराम के नाम का स्मरण होना स्वाभाविक है। हो भी क्यों न! अयोध्या श्रीराम की जन्मभूमि है। आदिकाल से अयोध्या और श्रीराम एक दूसरे के पर्याय रहे हैं। रघुवंश के शासनकाल से लेकर अभी तक अयोध्या विघ्न, बाधाओं, विवादों और विभिन्न झंझावातों से जूझती रही है। देश दुनिया के करोड़ों- करोड़ हिन्दुओं और राम भक्तों की आस्था से जुड़ी अयोध्या एक अभिशप्त नगरी होने का सा आभास कराती रही है।

आदिकाल से अयोध्या और श्रीराम एक दूसरे के पर्याय रहे हैं।

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