भारत के समाजसेवियों डॉ. भीमराव आंबेडकर से लेकर ज्योतिराव (ज्योतिबा) फुले आदि का लोहा दूसरे देश भी मानते हैं। वे ऐसे देश हैं जहां नस्लवाद की समस्या अभी भी बनी हुई है। भारत के इन महान सुधारकों को सम्मानित करते हुए कनाडा के एक प्रांत ब्रिटिश कोलंबिया ने अप्रैल महीना दलितों को समर्पित किया है। एक ऐतिहासिक फैसले के तहत इस प्रांत ने अप्रैल महीने को 'दलित इतिहास महीना' घोषित किया गया है। ब्रिटिश कोलंबिया की सरकार ने एक घोषणापत्र जारी कर इसकी जानकार दी है।
घोषणापत्र में कहा गया है, 'ब्रिटिश कोलंबिया विविधतापूर्ण संस्कृति से भरा हुआ है जिसमें अलग-अलग समुदाय के लोग रहते हैं। जबकि अश्वेतों और ब्रिटिश कोलंबिया के मूल लोगों को नस्लवाद, अन्याय, भेदभाव और नफरत से गुजरना पड़ता है। ऐसे में हमारी सरकार हर प्रकार के नस्लवाद और भेदभाव से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है।'

अप्रैल को चुनने की खास है वजह
अप्रैल के महीने में महान दलित नेताओं की जयंती मनाई जाती है और इसी को देखते हुए इस महीने को दलित इतिहास दिवस घोषित किया गया है। घोषणापत्र में आगे कहा गया है, 'चूंकि अप्रैल दलित समुदाय के लिए महत्वपूर्ण महीना है और यह उनके लिए इसलिए खास है क्योंकि महान दलित नेताओं और सामाजिक सुधारकों जैसे कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, ज्योतिराव फुले, मंगू राम मुगोवालिया और संत राम उदासी की जयंती या पुण्यतिथि इसी महीने आती है। हमारी सरकार कठिनाई से निपटने और सभी के लिए सामाजिक न्याय व समानता की बात करने में दलितों द्वारा दिखाई ताकत मान्यता देती है। 'दलित इतिहास महीना' दलित समुदाय के इतिहास, अनुभव और उपलब्धियों को सम्मानित करने और उनपर विचार करने का अवसर है।

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उल्लेखनीय है कि इससे पहले कनाडा के ही एक शहर बर्नबी ने 14 अप्रैल को 'डॉ. आंबेडकर समानता दिवस' घोषित किया है। शहर के मेयर माइक हर्ली ने आधिकारिक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया था, जिसमें कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर असमानता और अन्याय पर चिंता जताई जा रही है। ऐसे में असमानता को मिटाने के प्रयासों को समर्थन देने और उसे मजबूती देने की जरूरत है।