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अफगानिस्तान में तालिबान का दबदबा : भारत का इतिहास, वर्तमान और भविष्य

अफगानिस्तान में हुए सिविल वॉर के बाद यहां भारतीय कभी सुरक्षित नहीं रहे। वे लंबे समय से तालिबान हक्कानी नेटवर्क और पाकिस्तानी लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी संगठनों के रडार पर रहे हैं।

अफगानिस्तान में रह रहे भारतीय आतंकवादी गतिविधियों की वजह से अपहरण और हिंसा के खतरे का सामना कर रहे हैं। अफगानिस्तान में आम लोग सुरक्षित नहीं हैं। यहां अस्थिरता कम होने की बजाय बढ़ रही है। यही वजह है कि हाल ही में भारतीय दूतावास ने अफगानिस्तान में रह रहे भारतीय को एडवाइजरी जारी करते हुए ढेरों चेतावनी दी है।

तालिबान ने पहले ही अफगानिस्तान में हिंसा और शोषण करने से अपनी आतंकी सोच को जगजाहिर किया था, वहीं तालिबान अमेरिकी सैनिकों की घर वापसी के फैसले के बाद से एक बार फिर काबुल और देश के कई अन्य हिस्सों में एक के बाद एक हमले करते हुए सिक्योरिटी फोर्स, सरकारी संस्थान के अलावा निर्दोष लोगों को भी नहीं बख्श रहा है। इनमें भारतीय भी हैं, जो आतंकवादियों द्वारा अपहरण के गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं।

हाल ही में, काबुल और देश के अन्य हिस्सों में तालिबानी और अन्य आतंकी संगठनों ने ना सिर्फ सरकारी संस्थानों को निशाना बनाया, बल्कि अस्पताल, धार्मिक संस्थान और आम लोगों पर भी हमले किए हैं। सड़क किनारे आईइडी और मैग्नेटिक आईइडी की मदद से गाड़ियों को भी निशाना बनाने का काम आतंकी अफगानिस्तान के कई हिस्सों में कर रहे हैं।

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