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अच्छी खबर है गाजा में कोई भी विराम

आतंकवाद के कैंसर से निपटना समस्या का एक हिस्सा है मगर बड़ी चुनौती फिलिस्तीनी लोगों की आकांक्षाओं और इजराइल राज्य के अधिकारों के बीच तालमेल कायम करने की है।

जिंदगी की तलाश में... UNICEF/Mohammad Ajjour

अब पूरी दुनिया की निगाहें इस बात पर हैं कि क्या इजरायल और हमास के बीच मौजूदा युद्धविराम को एक बार और बढ़ाया जा सकता है। ताकि इजरायली जेलों से मुक्त फिलिस्तीनियों के बदले में बंधकों को रिहा किया जा सके और गाजा को अतिरिक्त मानवीय सहायता पहुंचाई जा सके। यहूदी राज्य पर 7 अक्टूबर को हमास के आतंकवादी हमले के साथ शुरू हुए टकराव में अविश्वसनीय मानवीय क्षति और पीड़ा हुई है। कहा जाता है कि हमास के हमले में करीब 1400 इजरायली नागरिक मारे गए और इसके बाद बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई हुई। गाजा में संघर्षविराम के पहले छह दिनों में 180 फिलिस्तीनियों की आजादी के बदले में लगभग 80 बंधकों को रिहा किया गया है। वार्ताकारों का मानना ​​है कि कैद में रखे गए पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के पूरे समूह की घर वापसी के लिए अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। पांच सप्ताह की भीषण बमबारी के कारण लगभग 18 लाख गाजावासी मलबे में दबे अपने घरों में लौटने की उम्मीद में दक्षिण की ओर भाग रहे हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों का अनुमान है कि युद्धग्रस्त इलाके में अब तक लगभग 14,000 फिलिस्तीनी मारे गए हैं। इनमें सैकड़ों बच्चे हैं। अभी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि संघर्षविराम बढ़ाया जाएगा या इजराइल अपनी जमीन और हवाई हमलों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध होगा। ऐसे में यहूदी राज्य को खुद को सटीक हमलों तक सीमित रखने की बाइडेन प्रशासन की 'सलाह' नेतन्याहू सरकार को और भड़का रही है। यह सही है कि इन तमाम दुखद घटनाओं के लिए हमास वास्तव में जिम्मेदार है लेकिन यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या इजरायल के बल प्रदर्शन से कोई फर्क पड़ा है। जब जंग की गुबार थम जाएगी तो प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को कई सवालों के जवाब देने होंगे। लेकिन अभी तो जंग के थम जाने की कोई भी खबर गाजा के लिए अच्छी है। विस्तारित रूप से मध्य-पूर्व के लिए भी। यह उन सैकड़ों-हजारों लोगों के लिए एक छोटी सी राहत है जो पिछले कई हफ्तों से डर में जी रहे हैं और भोजन-पानी के लिए भटक रहे हैं। अगर इजराइल ने हमास को खत्म करने के अपने संकल्प के तहत 'सफाई' अभियान शुरू कर दिया तो दक्षिण से गाजावासियों की वापसी और भी अधिक दर्दनाक होने वाली है। हाल के इजरायली अभियानों में हमास को भले ही भारी झटका लगा हो लेकिन इस बात का संकेत कम ही है कि उनकी कमान संरचना में कोई कमी आई है। कतर और मिस्र जैसे देशों ने वास्तव में बंधकों की रिहाई और मानवीय सहायता के लिए अपनी कूटनीतिक शक्ति का प्रदर्शन किया है। लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। मध्य-पूर्व के देशों के लिए ही नहीं पश्चिमी मुल्कों और पूरी दुनिया को शांति का मार्ग बनाने के लिए कदम बढ़ाने होंगे। आतंकवाद के कैंसर से निपटना समस्या का एक हिस्सा है मगर बड़ी चुनौती फिलिस्तीनी लोगों की आकांक्षाओं और इजराइल राज्य के अधिकारों के बीच तालमेल कायम करने की है। क्षेत्र में उग्रवाद की आग को भड़काना शांति और स्थिरता के उद्देश्य को पाने में सबसे बड़ा बाधक है। इससे नफरत और कट्टरता के शोले भड़कते हैं। और सबसे बुरा यही है।

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