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भारत की अंतरिक्ष यात्रा की गजब उड़ान, निजी क्षेत्र की भी भागीदारी

भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ाकर एक अलग ही चैप्टर खोल दिया है। वर्ष 2021 में भारत ने भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र या स्टार्टअप के लिए खोलने के लिए अंतरिक्ष संघ की शुरुआत कर दी थी। वह अब अपनी भूमि से 34 देशों के 342 विदेशी उपग्रह लॉन्च कर चुका है।

सभी फोटो Twitter: @isro

भारत की अंतरिक्ष यात्रा गजब उड़ान भर रही है। कभी साइकिल व बैलगाड़ी से अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत करने वाला भारत आज मंगल और चांद पर पहुंच गया है। भारत की अंतरिक्ष यात्रा का ‘यान’ इतनी तेजी से उड़ान भर रहा है कि इस क्षेत्र में वह अमेरिका के बराबर खड़ा हुआ है, जबकि अमेरिका ने भारत से कई दशक पूर्व अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत की थी। आज भारत का अंतरिक्ष संगठन इसरो (ISRO) विश्व की छह सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है। विशेष बात यह है कि भारत ने इस क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए भी खोल दिया है, जिसका लाभ यह मिला है कि उसका सिक्का तो जम ही रहा है, साथ ही कमाई भी हो रही है।

भारत ने हाल ही में सूर्य की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करने के लिए आदित्य एल-1 उपग्रह को लॉन्च किया है। इससे पहले वह चंद्रमा पर चंद्रयान-3 मिशन के तहत लैंडर उतार चुका है, जिसके जरिए चांद पर उसकी छानबीन चल रही है। विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है, जहां आज तक किसी भी देश का मिशन लैंड नहीं कर पाया है। भारत की इस सफलता पर पूरा विश्व हैरान है और खुश भी कि कई समस्याओं से ‘लड़खड़ाता’ सा दिख रहा यह देश अंतरिक्ष में तो भारी उछाल भर रहा है। विशेष बात यह भी है कि भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र को सार्वजनिक निजी भागीदारी के लिए भी खोल दिया है। अब तो अमेरिका की नासा जैसी शुरुआती और प्रमुख अंतरिक्ष संस्थाएं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ सहयोग कर रही हैं और भारत के विशेषज्ञों से राय भी ले रही हैं।

भारत ने अभी हाल ही में चंद्रमा पर विक्रम लैंडर को उतार दिया है। 

असल में अंतरिक्ष क्षेत्र भारत के लिए कोई नया नहीं है। गुलामी और कुछ अन्य कारणों के चलते इस क्षेत्र में भारत पिछड़ गया, लेकिन अवसर आते ही वह इस क्षेत्र में झंडे गाड़ रहा है। साठ के दशक में भारत के प्रमुख अंतरिक्ष विज्ञानी विक्रम साराभाई ने दोबारा से इस क्षेत्र में देश की अगुवाई की। यह वह समय था जब इस क्षेत्र में अमेरिका और रशिया बहुत आगे चल रहे थे, जबकि भारत इस फील्ड में साइकिलों व बैलगाड़ियों की मदद ले रहा था। लेकिन खगोल विज्ञान में भारत पहले भी बुलंदी छू चुका है, जब हजारों वर्ष पूर्व देश के महान विज्ञानी आर्यभट्ट ने अंतरिक्ष की जानकारी दी थी। उन्होंने ही कहा था कि पृथ्वी गोल है और अपनी धुरी पर घूमती है। इतिहास अपने को दोहरा रहा है। भारत का इसरो अब तक करीब 116 अंतरिक्ष यान मिशन, 86 लॉन्च मिशन किए हैं और आदित्य, चंद्रयान और  गगनयान आदि मिशनों की योजना पर काम कर रहा है।

भारत अपनी भूमि से विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण भी कर रहा है। अब तक वह 34 देशों के 342 विदेशी उपग्रह लॉन्च कर चुका है।

भारत ने गजब काम यह किया है कि उसने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ाकर एक अलग ही चैप्टर खोल दिया है। वर्ष 2021 में भारत ने भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र या स्टार्टअप के लिए खोलने के लिए अंतरिक्ष संघ की शुरुआत पहले ही कर दी। वह अब अपनी भूमि से लगातार विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण भी कर रहा है। अब तक वह 34 देशों के 342 विदेशी उपग्रह लॉन्च कर चुका है। देश ने 112 अंतरिक्ष मिशन, 82 लॉन्च मिशन और दो पुनः प्रवेश मिशन भी संचालित किए हैं, जो एक रेकॉर्ड है, साथ ही वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में भारत की बढ़ती उपस्थिति का दर्शन है। भारत अब मिशन गगनयान के तहत भारतीयों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए लगभग तैयार है। ऐसा हुआ तो भारत अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला चौथा देश होगा, अन्य तीन देश अमेरिका, रूस और चीन हैं। भारत की यह अंतरिक्ष यात्रा खासी चकित करने वाली है। उसका कारण यह है कि अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देश भी लॉन्चिंग के लिए ISRO से संपर्क करते हैं। बीते कुछ वर्षों में भारत दुनिया में सेटेलाइट का लॉन्चपैड बन गया है। इस क्षेत्र में भारत का विश्वास और महत्वकांक्षा इतनी हाई हो चुकी है कि वह खुद के अंतरिक्ष स्टेशन बनाने पर विचार कर रहा है।

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