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सभी सिख आतंकी होते हैं... कहने का आरोप लगा 'बॉस' को आयोग में घसीटा

रमिंदर सिंह और सुमित नंदपुरी का आरोप है कि कंपनी में आए नए प्रबंधक ने उनसे कहा था कि सभी सिख आतंकवादी होते हैं। इसी वजह से नवंबर 2022 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। अब मानवाधिकार आयोग मार्च में इस मामले पर मध्यस्थता सुनवाई करेगा।

न्यूजीलैंड में भारतवंशी दो सिख ट्रक ड्राइवरों ने अपने पूर्व बॉस को मानवाधिकार आयोग में खींच लिया है। दोनों का आरोप है कि उनके पूर्व बॉस ने नस्लीय अपशब्दों का इस्तेमाल किया। कंपनी में प्रबंधक के तौर पर काम करते हुए बॉस ने यह भी कहा कि सभी सिख आतंकवादी होते हैं। अब मानवाधिकार आयोग मार्च में इस मामले पर मध्यस्थता सुनवाई करेगा। कोई निष्कर्ष नहीं निकलता तो शिकायत मानवाधिकार समीक्षा न्यायाधिकरण के पास भेजी जाएगी।

न्यूजीलैंड की स्थानीय मीडिया रपटों के अनुसार रमिंदर सिंह और सुमित नंदपुरी ने नवंबर 2022 में इसी कारण नौकरी छोड़ दी थी। कंपनी में आए नए प्रबंधक ने उनसे कथित रूप से कहा था कि सभी सिख आतंकवादी होते हैं। सिंह ने दावा किया कि ऑकलैंड में सदर्न डिस्ट्रिक्ट्स टोइंग की मालिक और प्रबंध निदेशक पाम वॉटसन ने इस मामले में न तो कोई कार्रवाई की और न ही कंपनी के प्रबंधक द्वारा नस्लीय दुर्व्यवहार करने पर माफी मांगी।

मानवाधिकार आयोग मार्च में मध्यस्थता सुनवाई करेगा। 

सुमित नंदपुरी ने दावा किया कि उन्होंने प्रबंधक को अपने सहकर्मी से ये कहते सुना था कि क्या इसी वजह से तुम्हारा पंजाब बर्बाद है? क्या इसलिए ही तुम लोग पिछड़ रहे हो? सुमित कंपनी में पांच साल से अधिक समय से काम कर रहा था। सुमित का दावा है कि यह नस्लवाद की पांचवीं घटना थी। उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया गया था इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी।

नंदपुरी ने कहा कि जब उसने वाॅटसन से कहा कि वह इस मामले में कानूनी सलाह लेना चाहता है तो वह चिल्लाई और बोली कि क्या तुम मेरा बिजनेस बर्बाद करना चाहते हो? इसके बाद वॉटसन ने लिखित में शिकायत मांगी। इसके बाद वाॅटसन ने उन्हें एक पत्र लिखा जिसमें लिखा था कि उन्होंने इस मामले की गहन जांच और समीक्षा की। ऐसा दोबारा न हो इसके लिए उन्होंने उचित कार्रवाई की है।

हालांकि सुमित और रमिंदर का दावा है कि उन्हें यह नहीं बताया गया कि क्या कार्रवाई की गई बल्कि उन्हें इस घटना को गोपनीय रखने के लिए कहा गया। इसके अलावा वाटसन ने कोई माफी नहीं मांगी और प्रबंधक भी कंपनी के लिए काम करता रहा। सिंह ने कहा कि दोनों को अपराधी जैसा महसूस हो रहा था। वॉटसन का पत्र उनके चेहरे पर तमाचे जैसा था। इस घटना ने दोनों को मानसिक और भावनात्मक रूप से आहत किया था।

बता दें कि मानवाधिकार आयोग मार्च में मध्यस्थता सुनवाई करेगा। यदि कोई निष्कर्ष नहीं निकलता है, तो शिकायत को मानवाधिकार समीक्षा न्यायाधिकरण को भेजा जाएगा।

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