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छंटनीकाल में मिले H1B में राहत, भारतीय संगठनों ने राष्ट्रपति से लगाई गुहार

फाउंडेशन फॉर इंडिया और इंडियन डायस्पोरा स्टडीज और ग्लोबल इंडियन टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स एसोसिएशन ने ऑनलाइन पिटीशन में H-1B में छूट की अवधि दो महीने की बजाय एक साल करने का आग्रह किया है।

अमेरिका के टेक सेक्टर में बड़े पैमाने पर छंटनी के कारण भारी संख्या में भारतीय पेशेवर बेरोजगार हो गए हैं। उनके ऊपर अब अमेरिका से निकाले जाने की तलवार भी लटक रही है। इसी मुसीबत को देखते हुए दो भारतीय अमेरिकी संगठनों ने एक ऑनलाइन याचिका शुरू की है। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति से कर्मचारी वीजा यानी H-1B में छूट की अवधि दो महीने की बजाय एक साल करने का आग्रह किया गया है।

At the bustling Times Square
H-1B वीजा धारक को नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद अमेरिका में 60 दिन की अवधि के लिए रहने का मौका मिलता है। Photo by Saulo Mohana / Unsplash

जिन दो भारतीय अमेरिकी संगठनों ने यह अपील की है उनमें फाउंडेशन फॉर इंडिया और इंडियन डायस्पोरा स्टडीज और ग्लोबल इंडियन टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स एसोसिएशन शामिल हैं। संगठनों ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के अलावा अमेरिका के होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) के सचिव और अमेरिकी नागरिकता व आव्रजन सेवा (USCIS) के निदेशक से भी ऑनलाइन याचिका में गुहार लगाई है।

दरअसल H-1B वीजा धारक को नौकरी जाने पर केवल 60 दिन की अवधि के लिए अमेरिका में रहने का मौका मिलता है। इस बीच वे नई नौकरी खोज सकते हैं। यदि नई नौकरी पाने में असमर्थ होते हैं तो उन्हें देश छोड़ना होता है। H-1B वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है। टेक कंपनियां भारत और चीन से हर साल हजारों कर्मचारियों को इसी वीजा के तहत अपने यहां बुलाती हैं। LayoffTracker.com के मुताबिक जनवरी 2023 तक कम से कम 91,000 कर्मियों की छंटनी का जा चुकी है। आने वाले महीनों में यह संख्या बढ़ सकती है।

याचिका में कहा गया है कि हम मानवीय आधार पर परिवारों को बचाने के लिए सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का अनुरोध करते हैं। हमारा मानना है कि वीजा अवधि में विस्तार प्रतिभाशाली कर्मियों के पलायन को रोकेगा और सुनिश्चित करेगा कि अमेरिका प्रौद्योगिकी और नवाचार में विश्व में अग्रणी बना रहे। हम निर्वाचित पदाधिकारियों से भी अनुरोध करते हैं कि वे इस विस्तार का समर्थन करें और यदि आवश्यक हो तो प्रतिनिधि सभा में विधेयक पेश करें।

अब तक 2,200 से अधिक लोग इस याचिका पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। याचिका में कहा गया है कि 70 प्रतिशत स्टार्टअप के संस्थापक अप्रवासी हैं। सार्वजनिक कंपनियों के लगभग 50+ सीईओ भारतीय मूल के हैं। ऐसे में अमेरिका से प्रतिभा का पलायन देश के दीर्घकालिक हितों के लिए हानिकारक है। खासकर तब जबकि आधुनिक युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बड़ी-बड़ी कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा लगी हुई है।

इस बीच प्रवासी भारतीयों के एक फेसबुक समूह ने भी एक याचिका शुरू की है जिसमें भारत सरकार से अमेरिका में नौकरी से निकाले गए भारतीय तकनीकी कर्मचारियों को नियुक्त करने का आग्रह किया गया है। इस याचिका में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव को संबोधित पत्र में कहा गया है कि मौजूदा छंटनी की स्थिति को देखते हुए हम आपसे अनुरोध कर रहे हैं कि आप अपने मंत्रालयों में डिजिटलीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी पहल के अंतर्गत भारतीय आईटी कर्मचारियों को सलाहकार के रूप में रखने पर विचार करें।

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