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अमेरिकी चुनाव में भारतीयों की भूमिका

कई राजनीतिक पर्यवेक्षक और पंडित उम्मीद जता रहे थे कि डेमोक्रेट प्रतिनिधि सभा में तो हारेंगे ही और शायद सीनेट में भी उन्हें नुकसान होगा। लेकिन डेमोक्रेट और व्हाइट हाउस में बैठे बाइडेन सरकार के प्रतिनिधि कहीं न कहीं राहत की सांस ले रहे हैं कि "रेड वेव" की सभी अटकलों पर आखिरकार पानी फिर गया।

अमेरिका में 8 नवंबर को हुए मध्यवधि चुनावों पर राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले या फिर कहें कि राजनीतिक रूप से इच्छुक लोग बड़ी उत्सुकता से नजर रखे हुए थे। दरअसल इन चुनावों में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट का राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर बहुत कुछ दांव पर लगा था।

कई राजनीतिक पर्यवेक्षक और पंडित उम्मीद जता रहे थे कि डेमोक्रेट प्रतिनिधि सभा में तो हारेंगे ही और शायद सीनेट में भी उन्हें नुकसान होगा। आगामी 6 दिसंबर को जॉर्जिया से तस्वीर जब तक पूरी तरह साफ नहीं हो जाती तब तक यह कहना मुश्किल है कि इस बार किसका पलड़ा भारी रहा। लेकिन डेमोक्रेट और व्हाइट हाउस में बैठे बाइडेन सरकार के प्रतिनिधि कहीं न कहीं राहत की सांस ले रहे हैं कि "रेड वेव" की सभी अटकलों पर आखिरकार पानी फिर गया।

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