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पढ़ाई के लिए विश्व के टॉप 100 कोर्स में से 44 भारत के, IIT बॉम्बे का जलवा

QS ने दुनिया भर के विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों की विषय आधारित रैंकिंग जारी की है। सूची में शीर्ष 100 पाठ्यक्रमों में 44 भारतीय पाठ्यक्रमों ने जगह बनाई है। इंजीनियरिंग में आईआईटी बॉम्बे को भारत में पहला और दुनिया में 47वें स्थान पर बताया गया है।

आईआईटी बॉम्बे की फाइल फोटो (साभार सोशल मीडिया@iitb)

उच्च शिक्षा विश्लेषक क्वाक्वारेली सिमंड्स (QS) ने दुनिया भर के विश्वविद्यालयों और  शिक्षण संस्थानों की विषय आधारित रैंकिंग जारी की है। सूची में शीर्ष 100 पाठ्यक्रमों में 44 भारतीय पाठ्यक्रमों ने जगह बनाई है। पिछले साल भारत के 35 पाठ्यक्रम इस सूची में शामिल थे। इंजीनियरिंग में आईआईटी बॉम्बे को भारत में पहला और दुनिया में 47वें स्थान पर बताया गया है।

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क्यूएस की इस रैंकिंग में खासकर एसटीईएम (विज्ञान, टेक्नोलॉडी, इंजीनियरिंग और मैथ्स) विषयों को आधार माना गया है। आईआईटी बॉम्बे का गणित कार्यक्रम 92वें स्थान पर है। यह पिछले साल के मुकाबले 25 स्थान ऊपर है। आईआईटी कानपुर का इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग कोर्स अब दुनिया की सूची में 87वें स्थान पर है।

कंप्यूटर साइंस एवं आईटी में आईआईटी खड़गपुर आगे है। यहां के सीएस एवं आईटी कोर्स को 94वां स्थान मिला है। अब पिछले साल से 15 स्थान ऊपर है। समाज शास्त्र में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने 68वां स्थान हासिल किया है, जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय को 91वां स्थान मिला है।

इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस (आईओई) के नेतृत्व में भारत ने विषय के आधार पर क्वाक्वारेली साइमंड्स (क्यूएस) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में अपनी स्थिति में सुधार किया है। क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग में 54 शैक्षणिक विषयों को शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि भारतीय विश्वविद्यालय कंप्यूटर विज्ञान, रसायन विज्ञान, जैविक विज्ञान, व्यवसाय अध्ययन और भौतिकी के क्षेत्र में भी अच्छा प्रदर्शन किया है।

आईओई में दिल्ली विश्वविद्यालयों को छोड़कर अन्य संस्थानों ने देखा कि उनके द्वारा पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रमों की तुलना में उन्होंने बेहतर स्थान हासिल किए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में क्यूएस सूची में प्रदर्शित 27 कार्यक्रमों में से सात की रैंक में सुधार हुआ है, जबकि 12 में गिरावट आई है।
लगातार दूसरे वर्ष सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज के दंत चिकित्सा कार्यक्रम ने वैश्विक स्तर पर 13वीं रैंक प्राप्त की है। पिछले साल यह 18वें स्थान पर था।

क्यूएस के मुताबिक विश्व स्तर पर भारत ने 2017 और 2022 के बीच अपने अनुसंधान उत्पादन में 54% की वृद्धि की है। विश्व में चीन दुनिया का चौथा सबसे अधिक (45 लाख) शोध करने वाला देश है। 2017 से 2022 के बीच इसने 13 लाख अकैडमिक पेपर तैयार किए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका (44 लाख) और यूनाइटेड किंगडम (14 लाख) रिसर्च पेपर पेस करता है।

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