न्यूजीलैंड के हर 100 में से पांच भारतीय हैं। न्यूजीलैंड में भारतीय प्रवासियों की आबादी अच्छी खासी है। देश की विधायिका में न्यूजीलैंड का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय मूल के राजनेताओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। न्यूजीलैंड में 14 अक्टूबर को आम चुनाव होने वाले हैं। इसमें भारतीय मूल के 13 उम्मीदवार मैदान में हैं। देश में अभी लेबर पार्टी सत्ता में है। पार्टी नेताओं ने घोषणा की है कि अगर वे आम चुनाव में फिर से चुने जाते हैं तो फिलिस्तन राज्य को मान्यता देंगे। हालांकि न्यूजीलैंड की राजनीति में दक्षिणपंथी उभार के संकेत मिल रहे हैं।
The Labour-Green bloc gained three percentage points in today's @1NewsNZ-Verian poll, and NZ First is consistently polling above the 5% threshold.
— Alex (@tankielib) October 11, 2023
New Zealand's parliament might look something like this after the election on Saturday: pic.twitter.com/yiiwuxCX1U
दक्षिणपंथी समझे जाने वाली न्यूजीलैंड नेशनल पार्टी ने सबसे अधिक पांच भारतीय मूल के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। खुद को न्यूजीलैंड की लिबरल पार्टी के रूप में परिभाषित करने वाली पार्टी ACT की तरफ से भारतीय मूल के चार उम्मीदवार मैदान में हैं। रिपोर्ट के अनुसार लेबर और ग्रीन्स पार्टी ने दो उम्मीदवार मैदान में उतरा है।
The center-right National Party looks set to win the largest share of the vote in New Zealand’s election on Saturday, but it will need to form a coalition to govern. https://t.co/jxShqcVLAK
— The Washington Post (@washingtonpost) October 13, 2023
नेशनल पार्टी की तरफ से भारतीय मूल के उम्मीदवार महेश मुरलीधर, नवतेज सिंह रंधावा, करुणा मुथु, अंकित बंसल और शिवा किलारी हैं। इन सभी उम्मीदवारों के लिए अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण, कानून और व्यवस्था बहाल करना और स्वास्थ्य और शिक्षा परिणामों में सुधार करना आदि मुद्दे शामिल हैं। नेशनल पार्टी की ओर से सबसे प्रमुख भारतीय मूल के उम्मीदवार 30 वर्षीय शिवा किलारी का कहना है कि मेरे मतदाताओं के लिए कानून और व्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है।
महेश मुरलीधर के लिए बेघरों की समस्या, ऑकलैंड की यातायात जैसे प्रमुख मसले हैं। महेश मुरलीधर का कहना है कि इन मुद्दों के अलावा मेरा लक्ष्य भारत के साथ न्यूजीलैंड के संबंधों को मजबूत करना है। न्यूजीलैंड में भारतीय प्रवासियों के मुद्दे भी महत्वपूर्ण हैं। नवतेज सिंह रंधावा का सरकार में विविधता बढ़ाने पर जोर है। करुणा मुथु के लिए मुद्रास्फीति का मुद्दा है। अंकित बंसल के लिए न्यूजीलैंडवासियों को समान अवसर प्रदान का मसला है।
ACT में भारतीय मूल के शीर्ष उम्मीदवार परमजीत परमार हैं। पूर्व सांसद परमार कहते हैं कि मैंने एसीटी को इसलिए चुना क्योंकि यह एकमात्र राजनीतिक दल है जो नीति निर्माण के लिए लगातार साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण अपनाता है। हैमिल्टन ईस्ट से उम्मीदवार हिमांशु परमार के लिए, जीवनयापन की लागत, अपराध और सह-शासन महत्वपूर्ण चिंताएं हैं।
एसीटी के उम्मीदवार राहुल चोपड़ा का कहना है कि वह इस बार वास्तविक बदलाव करना चाहते हैं। दूसरी ओर पोथेन जोसेफ का शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करने पर जोर है। उनका कहना है कि हमारी वर्तमान प्रणाली को बुनियादी अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने और अधिक किफायती होने के लिए महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता है।
लेबर पार्टी के लिए भारतीय मूल के दो उम्मीदवार प्रियंका राधाकृष्णन और खड़ग सिंह हैं। प्रियंका का कहना है कि स्थानीय स्कूलों, सामुदायिक संगठनों और साइकिल मार्गों और पैदल मार्गों के नेटवर्क में सुधार करना प्राथमिकता है। इसके अलावा सार्वजनिक परिवहन की पहुंच कुछ फोकस क्षेत्र होंगे। दूसरी ओर खड़ग सिंह का कहना है कि शिक्षा और सांस्कृतिक समावेशिता उनकी प्राथमिकताएं होंगी।
ग्रीन पार्टी के लिए भारतीय मूल के दो उम्मीदवार नीलू जेनिंग्स और सपना सामंत हैं। जेनिंग्स के लिए, प्राथमिकता हर किसी के लिए 385 डॉलर प्रति सप्ताह की आय सुनिश्चित करना, 35,000 नए घरों का निर्माण करना और विकलांगता कानून बनाना है। सपना एक न्यायसंगत, मुक्त, समावेशी, टिकाऊ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली विकसित करना चाहती हैं।