भारत दुनियाभर के देशों के साथ मित्रवत संबंध बनाने और संकट की घड़ी में उनके साथ खड़े होने के लिए जाना जाता है। अब भारत ने पड़ोसी देश श्रीलंका की तरफ मदद का हाथ आगे बढ़ाया है। पड़ोसी देश गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और यहां हालात इतने खराब हो चुके हैं कि खाने-पीने की चीजें, दवाई और अन्य जरूरी चीजों की भारी किल्लत हो गई है। गंभीर हालात को देखते हुए भारत ने जल मार्ग के रास्ते मंगलवार को 11,000 मीट्रिक टन चावल कोलंबो भेजा।
11,000 MT rice from #India reached #Colombo on board ship Chen Glory today ahead of New Year celebration by people of 🇱🇰. 16,000 MT rice supplied under 🇮🇳's multi-pronged support to 🇱🇰 in the past week alone.These supplies which mark the special bond between 🇮🇳&🇱🇰 will continue. pic.twitter.com/PF3yE626hl
— India in Sri Lanka (@IndiainSL) April 12, 2022
मछुआरों और बंदरगाह के मुद्दे पर भारत के भले ही श्रीलंका से विवाद रहे हों, लेकिन नई दिल्ली ने फिलहाल विवादों से परे जाकर कोलंबो की मदद की बीड़ा उठाया है। श्रीलंका को भेजी गई मदद पर भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया, 'नए साल के जश्न से पहले शेन ग्लोरी जहाज से 11,000 मीट्रिक टन भारत से कोलंबो पहुंचा। भारत के बहुआयामी सहायता के अंतर्गत पिछले एक सप्ताह में 16,000 मीट्रिक टन चावल श्रीलंका पहुंचा है। यह आपूर्ति भारत और श्रीलंका के बीच विशेष संबंध को दर्शाता है, जो आगे भी बरकरार रहेगा।' चावल की इस नई खेप को भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने श्रीलंका के अधिकारियों को सौंपा।
#India distributed food packets to needy families in Madawewa and Kirimetiyawa villages in sacred city of #Anuradhapura today. pic.twitter.com/iRWFBlAghU
— India in Sri Lanka (@IndiainSL) April 12, 2022
भारत केवल जहाज के रास्ते अनाज ही नहीं पहुंचा रहा बल्कि जरूरतमंद श्रीलंकाई नागरिकों को भोजन के पैकेट भी बांट रहा है। भारतीय उच्चायोग के कर्मचारियों ने मंगलवार को अनुराधापुरा के मादावेवा और किरिमेतियावा गांवों में भोजन के पैकेट बांटे।
जैसा कि हम सभी को पता है कि श्रीलंका दिवालियेपन की कगार पर खड़ा है। यह 51 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज के भुगतान करने की हालत में भी नहीं है। इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ से बेलआउट पैकेज मिलने की उम्मीद थी लेकिन अभी तक इसकी मंजूरी नहीं मिल पाई। श्रीलंका के हालात को देखते हुए जहां कई देशों ने हाथ खींच लिए हैं, वहीं मुश्किल घड़ी में भारत साथ देने पहुंचा है।