अनिवासी भारतीयों के लिए भारत में सीधे सरकारी प्रतिभूतियों, राज्य विकास ऋण (एसडीएल) और ट्रेजरी बिल (टी-बिल) में निवेश करना अब और भी आसान हो गया है। यह संभव हुआ है भारतीय रिजर्व बैंक के रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म की मदद से। ये क्या है और इससे एनआरआई किस तरह लाभ उठा सकते हैं, आइए बताते हैं।
रिटेल डायरेक्ट भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से रिटेल इन्वेस्टर्स को दी गई एक सुविधा है। इसके जरिए खुदरा ग्राहक प्राइमरी और सेकंडरी दोनों मार्केट में ट्रेजरी बिल्स, डेटेट सिक्योरिटी, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और स्टेट डेवलपमेंट लोन खरीद सकते हैं। एनआरआई भी इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। हालांकि उन्हें सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और फ्लोटिंग रेट बॉन्ड में इस रूट से निवेश की इजाजत नहीं है।
इसकी खास बात ये है कि एनआरआई और ओसीआई आरबीआई के रिटेल डायरेक्ट के जरिए सेकंडरी मार्केट में इन सभी इंस्ट्रूमेंट्स को खरीद सकते हैं और बेच भी सकते हैं। सबसे बड़ी बात ये कि इनमें निवेश की कोई सीमा नहीं है। साथ ही जीरो कमीशन और जीरो ब्रोकरेज जैसे फायदे भी मिलते हैं। आपको सालाना मेंटिनेंस फीस भी नहीं देनी होती।
एनआरआई को फिलहाल सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश की इजाजत नहीं है। लेकिन अगर उन्होंने एनआरआई स्टेटस हासिल करने से पहले इनमें निवेश कर रखा है तो वह इसे मैच्योरिटी या रिडेंप्शन तक जारी रख सकते हैं।
गोल्ड में निवेश के इच्छुक एनआरआई ई-गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं लेकिन ये सुविधा आरबीआई प्लेटफॉर्म के जरिए उपलब्ध नहीं है।
जो एनआरआई आरबीआई का रिटेल डायरेक्ट अकाउंट खोलना चाहते हैं, उनसे पास आधार से लिंक कोई भारतीय मोबाइल होना जरूरी है। अगर ये सेंट्रल केवाईसी नहीं है तो यूपीआई वाले एनआरओ सेविंग बैंक अकाउंट, पैन कार्ड से जरिए भी खाता खोला जा सकता है।