भारत और यूके के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। ब्रिटेन की नई लिज ट्रस सरकार की कई नीतियों के चलते ये नौबत आई है। भारत सरकार के अनुबंधों में यूके की कंपनियों को बोली लगाने की अनुमति दिए जाने का मामला भी एफटीए को लेकर अंतिम चरण की वार्ता में गतिरोध पैदा कर रहा है। कई और वजहें भी हैं।
अप्रैल में भारत यात्रा पर आए ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री जॉनसन ने एफटीए के लिए दीवाली की समय-सीमा की घोषणा की थी। लेकिन दो बिंदुओं की वजह से इस सौदे में देरी के संकेत दिखाई दे रहे हैं। इनमें से एक नियम विदेशी कंपनियों को भारत से डेटा लेने से रोकता है और दूसरा यूके की फर्माें को मात्र सार्वजनिक क्षेत्रों के अनुबंधों में ही बोली लगाने की अनुमति देता है।