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गोल्डन वीजा चाहिए, दो लाख पाउंड लगेंगे, नीरव मोदी ने भी लिया है

इस वीजा को चाहने वाले चीनी सबसे आगे, भारत के 254 करोड़पतियों ने इस वीजा को लिया। ब्रिटेन की एक संस्था का कहना है कि गोल्डन वीजा भ्रष्टाचार, मनी लांड्रिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनकर सामने आया है।

फोटो साभारः Spotlight on Corruption

ब्रिटेन का गोल्डन वीजा चाहिए! इसके लिए आपको करीब 2 लाख पाउंड ‘खर्च’ करने होंगे। इस वीजा की मदद से ही पैसे वाले लोग ब्रिटेन के अलावा अमेरिका व कनाडा में जाकर बस गए हैं। इस वीजा का 254 भारतीयों ने लाभ उठाया है। आपको हैरानी होगी कि भारत में करोड़ों रुपये का फ्रॉड करने वाले नीरव मोदी भी इस वीजा की बदौलत ही ब्रिटेन में डेरा डाले हुए है। दूसरी ओर ब्रिटेन की एक संस्था का आरोप है कि यह वीजा भ्रष्टाचार सहित राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है।

वर्ष 2008 में ब्रिटेन द्वारा गोल्डन वीजा के रास्ते खोलने के बाद इस वीजा के लिए अप्लाई करने की संख्या के हिसाब से भारत 7वें नंबर पर रहा। एक रिपोर्ट के अनुसार 254 करोड़पति भारतीयों ने ब्रिटेन में बसने के लिए इस इन्वेस्टमेंट वीजा का प्रयोग किया। गोल्डन वीजा को ही इन्वेस्टमेंट वीजा कहा जाता है, जो असल में उन करोड़पति लोगों के लिए एक आसान जरिया है जो पश्चिमी देशों में जाकर बसना चाहते हैं। भारत के कई ऐसे करोड़पति हैं, जो गोल्डन वीजा की मदद से ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा में जाकर बसे हैं।

ब्रिटेन में 2 लाख पाउंड निवेश करने के बाद गोल्डन वीजा मिल सकता है। इंडियन स्टार को मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2015 में नीरव मोदी ने गोल्डन वीजा के लिए अप्लाई किया था, जिसकी बदौलत नीरव मोदी आज ब्रिटेन में रह रहा है। गोल्डन वीजा मिलने के बाद से ब्रिटेन में रह रहे नीरव मोदी पर इस वक्त भारत के बैंकों से लगभग डेढ़ बिलियन पाउंड की धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग के आरोप हैं। जिस कारण भारत की सरकार नीरव मोदी को ब्रिटेन से भारत वापस लाने में जुटी हुई है।

स्पॉटलाइट आन करप्शन द्वारा इंडियन स्टार को भेजे गए ईमेल से। 

ब्रिटेन में भ्रष्टाचार पर निगरानी रखने वाली संस्था स्पॉटलाइट आन करप्शन ने गोल्डन वीजा को लेकर कुछ खुलासे किए हैं। उसकी रेड कारपेट फॉर डर्टी मनी नाम से तैयार की गई रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि साल 2008 से 2015 के बीच गोल्डन वीजा देने वालों की राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर जांच की गई, जिसमें पाया गया कि साल 2008 से 2015 के बीच आए लोगों की प्रॉपर्टी की काफी कम या बिल्कुल भी जांच नहीं की गई। इस दौरान 6312 लोगों को गोल्डन वीजा दिया गया था। इनमें सबसे अधिक चीन से 4,106, रूस से 2,526, हांगकांग से 692, अमेरिका से 685, पाकिस्तान से 283, कजाकिस्तान से 278 और भारत से 254 लोग गोल्डन वीजा की मदद से ब्रिटेन में दाखिल हुए।

साभार: Spotlight on Corruption

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