भारत की 10 लाख ASHA से जुड़ी हुईं महिला कार्यकर्ताओं को डब्ल्यूएचओ द्वारा वैश्विक स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने में उनके उत्कृष्ट योगदान और क्षेत्रीय स्वास्थ्य मुद्दों के लिए उनके नेतृत्व को लेकर सम्मानित किया है।
The Accredited Social Health Activist Workers (ASHA) are more than 1 million female volunteers in #India, honored for their crucial role in linking the community with the health system and ensuring that those living in rural poverty can access primary health care services #WHA75 pic.twitter.com/pC4eWC8rzy
— World Health Organization (WHO) (@WHO) May 22, 2022
एक्रीडेटिड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट वर्कर्स यानी ASHA का हिंदी में अर्थ भी आशा होता है। ASHA के अंतर्गत भारत में 10 लाख से अधिक महिलाएं काम करती हैं, जो भारतीय समुदाय को स्वास्थ्य प्रणाली से जोड़ने और ग्रामीण गरीबी में रहने वाले लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए काम करती हैं। ASHA महिलाओं को डब्ल्यूएचओ ने कोरोना महामारी के दौरान उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए सम्मानित किया है।
Delighted that the entire team of ASHA workers have been conferred the @WHO Director-General’s Global Health Leaders’ Award. Congratulations to all ASHA workers. They are at the forefront of ensuring a healthy India. Their dedication and determination is admirable. https://t.co/o8VO283JQL
— Narendra Modi (@narendramodi) May 23, 2022
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को आशा कार्यकर्ताओं को हेल्थ लीडर्स अवार्ड से सम्मानित किए जाने के बाद उनकी सराहना की और कहा कि वे स्वस्थ भारत बनाने में सबसे आगे हैं। दूसरी ओर डब्ल्यूएचओ ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि भारत की आशा महिला कार्यकर्ता बीमारियों के खिलाफ प्रेग्नेंट मां की देखभाल करने से लेकर बच्चों को सभी बीमारियों से बचाने के लिए उनके टीकाकरण, सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल, उच्च रक्तचाप और तपेदिक का उपचार, पोषण, स्वच्छता और स्वस्थ जीवन के लिए स्वास्थ्य संवर्धन के मुख्य क्षेत्रों में काम करती हैं।
डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने आशा कार्यकर्ताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे स्वास्थ्य की सच्ची चैंपियन हैं जो लोगों के दरवाजे तक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल लाने में मदद करती हैं। उनका काम हमेशा अनुकरणीय रहा है खासकर महामारी के दौरान। मैं वास्तव में इस मान्यता के लिए इन दस लाख से अधिक महिला कर्मचारियों को बधाई देती हूं।