UNHRC में पाकिस्तान को भारत ने फिर दिखाया आइना, नसीहत भी दी

भारत ने कहा है कि दुनिया को पाकिस्तान से लोकतंत्र और मानवाधिकारों का सबक सीखने की जरूरत नहीं है। पाकिस्तान खुद आतंक की पाठशाला है जहां गली-मोहल्लों मे आतंकवादी खुलेआम घूमते हैं और वहां हिंसा का तांडव लगातार चलता रहता है। मानवाधिकार परिषद की आम बहस के 52वें सत्र में भारत ने जवाब देने के अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए पाकिस्तान को नसीहत भी दी।

भारत ने जवाब देने के अधिकार का प्रयोग करते हुए पाकिस्तान को नसीहत दी। Photo by Matthew TenBruggencate / Unsplash

भारत के अवर सचिव डॉ. पीआर तुलसीदास ने पाकिस्तान से कहा कि वह भारत में सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने की मंशा से निरर्थक प्रचार में उलझने और उकसाने की कोशिश करने के बजाय अपने अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और कल्याण पर ध्यान केंद्रित करे।

तुलसीदास ने एक बार फिर रेखांकित किया कि पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध 150 से अधिक संयुक्त राष्ट्र-नामित आतंकवादी और आतंकी संस्थाएं मौजूद हैं। इन अभियुक्तों ने वहां सक्रिय रूप से प्रचार किया है और चुनावों में भाग लिया है। भारतीय सचिव ने पूछा कि क्या पाकिस्तान इस तथ्य से इनकार कर सकता है कि दुनिया का सबसे वांछित आतंकवादी ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में एक सैन्य अकादमी के पास रह रहा था जिसे उसने आश्रय दिया और संरक्षित किया?

तुलसीदास ने कहा कि जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है तो वह भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा। कश्मीर घाटी अब शेष भारत की ही तरह शांति और समृद्दि की राह पर है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह स्थिति तब है जब पाकिस्तान ने बारंबार शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारन की कोशिश की है और घाटी में आतंकी गुटों को समर्थन देना भी जारी रखा है। यही नहीं पड़ोसी मुल्क ने भारत के खिलाफ भ्रामक प्रचार में भी कोई कमी नहीं छोड़ी है।

भारतीय प्रतिनिधि ने दोहराया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना हमारी राजनीति का एक अनिवार्य हिस्सा है। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को ईशनिंदा कानून, प्रणालीगत उत्पीड़न, भेदभाव और अपहरण के अलावा आजादी और बुनियादी अधिकारों के लिए लड़ना पड़ता है। जान तक से हाथ धोना पड़ता है।