विश्व बैंक द्वारा भारत के राज्य मणिपुर को दी गई मदद का अमेरिका में मौजूद एसोसिएशन ऑफ मैतेई इन द अमेरिका ने स्वागत किया है। साथ ही एसोसिएशन ने मणिपुर में बीते दिनों हुई हिंसा के लिए कुकी समुदाय को जिम्मेदार ठहराया है।

संगठन ने कहा कि मणिपुर से आ रही घटनाओं की खबरों के बीच विश्व बैंक द्वारा की गई मदद का सकारात्मक असर होग। विश्व बैंक के इस सहयोग से मणिपुर डिजिटल रूप से भी बाकी दुनिया के करीब आएगा।
We appreciate @WorldBank for project P176733 to enhance the foundation of #DigitalManipur
— Association of Meiteis in the Americas (@MeiteiAMA) July 25, 2023
✅Opportunities for youth w/ meaningful employment other than poppy cultivation,drugs or armed militancy.
✅Bridge aspirations of 10K+ unemployed graduates for future economic advancement. pic.twitter.com/g6R54BNDU9
दरअसल P176733 नाम के विश्व बैंक के प्रोजेक्ट के माध्यम से मणिपुर को ई-गर्वनेंस के लिए 46 मिलियन डॉलर की मदद की गई है। इस पर एसोसिएशन ऑफ मैतेई इन द अमेरिका ने विश्व बैंक के अध्यक्ष भारतीय मूल के अजय बंगा को पत्र लिखकर धन्यवाद दिया और कहा कि भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र विशेष रूप से मणिपुर को डिजिटल अर्थव्यवस्था में शेष भारत के साथ जुड़ने की जरूरत है। P176733 जैसी विश्व बैंक की परियोजनाएं आर्थिक रूप से मणिपुर को सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को ऊपर उठाने में मदद करेंगी। विश्व बैंक की परियोजना अत्यधिक समावेशी है जिसमें महिलाओं और 35 से अधिक विविध आदिवासी समूहों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
एसोसिएशन के सदस्य राजश्री कैशम ने पत्र के माध्यम से कहा कि विश्व बैंक को उन राष्ट्र-विरोधी समूहों द्वारा बंधक नहीं बनाया जा सकता है जो संकट की घड़ी में पीड़ितों को लाभ पहुंचाने वाली विकास परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं।
संगठन ने जारी अपने पत्र में लिखा है कि संगठन सभी समुदायों द्वारा की गई हिंसा और दुर्व्यवहार के सभी कृत्यों की निंदा करता है। मणिपुर सात दशकों से अधिक समय से राजनीतिक उथल-पुथल में उलझा हुआ है। बेरोजगारी और अविकसितता सामाजिक अशांति का प्राथमिक कारण है। मणिपुर में जारी हिंसा ने अर्थव्यवस्था को दशकों पीछे धकेल दिया है। हालांकि कई आंतरिक संघर्षों के बाद भी मणिपुर न केवल बचा रहा बल्कि मजबूत होकर उभरा है।
संगठन ने पत्र में लिखा है कि अधिकांश हिंसा में सामान्य कारक कुकियों की आक्रामकता दिखाई देती है। 90 के दशक में कुकी और नागा संघर्ष, 1997 में कुकी और पाइते संघर्ष, 2009 में कुकी और कार्बी संघर्ष, 2011 में कुकी और दिमासा संघर्ष और अब 2023 में चल रहे कुकी और मैतेई संघर्ष इसका उदाहरण हैं। संगठन ने आरोप लगाया है कि 90 के दशक और 2023 में कुकी की आक्रामकता सीधे म्यांमार में सैन्य तख्तापलट से जुड़ी हुई है।