भारत-आसियान साझीदारी को 30 साल, लोगो डिजाइन में 2 भारतीयों ने मारी बाजी

भारत-आसियान की क्षेत्रीय साझेदारी को 30 साल पूरे होने जा रहे हैं और इसलिए  2022 को आसियान-भारत मित्रता वर्ष घोषित किया गया है। यह दोनों के बीच के संबंध का बेहद महत्वपूर्ण पड़ाव है और इसे यादगार बनाने के लिए खास 'लोगो' तैयार करने का फैसला किया गया। लोगो बनाने में आसियान के सदस्य देशों और भारत के कलाकारों की मदद ली गई, उनके लिए बकायदा एक प्रतियोगिता ही आयोजित करा दी गई और पुरस्कार राशि की भी घोषणा की गई ताकि उन कलाकारों के लिए भी यह वर्ष यादगार रहे।

संस्मरण वर्ष के लिए आसियान-इंडिया लोगो डिजाइन और टैगलाइन कंटेस्ट 14 फरवरी से 14 मार्च तक चला जिसमें ब्रुनेई, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम और भारत के 1254 नागरिकों ने हिस्सा लिया। भारतीय मिशन ने मंगलवार को सेलेक्ट कमिटी द्वारा चुने गए तीन लोगो को जारी किया।

भारत-आसियान क्षेत्रीय संबंध को 30 साल।

ये रहे विजेता, मिलेगा कैश प्राइज

आसियान में भारत के मिशन ने एक बयान जारी कर बताया, 'प्रतिभागियों के सबमिशन का मूल्यांकन सेलेक्शन कमिटी ने प्रांसगिकता, अनुकूलनशीलता, कलात्मकता के आधार पर किया जिसमें आसियान के स्थायी प्रतिनिधियों की समिति, आसियान में भारत के राजदूत और आसियान सचिवालय शामिल थे।'

विजेता का चुनाव आसियान और भारत की मित्रता व सामूहिक आकांक्षाओं, प्रगति को प्रदर्शित करने वाले बिंदुओं के आधार पर किया गया। सेलेक्शन कमिटी ने बीटी खुमखुरुआ को विजेता घोषित किया जबकि दूसरा स्थान अर्पित शंकर और तीसरा स्थान वत्सल शाह ने हासिल किया। मुख्य विजेता की नागरिकता का खुलासा अभी नहीं किया गया है लेकिन तीन में से दो विजेता भारतीय नागरिक हैं। भारतीय मिशन के मुताबिक, लोगो और टैगलाइन का इस्तेमाल संस्मरण वर्ष से संबंधित कार्यक्रमों और गतिविधियों में किया जाएगा।

एक नजर भारत-आसियान संबंध पर

भारत-आसियान का संबंध 30 वर्षों में काफी फला-फूला है। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक आसियान के साथ भारत का संबंध हमारी विदेश नीति का मुख्य स्तंभ और हमारी एक्ट ईस्ट पॉलिसी का आधार है। भारत 1992 में आसियान का क्षेत्रीय साझेदार, 1996 में वार्ताकार साझेदार ,जबकि 2002 में सम्मेलन स्तर का साझेदार बना। दोनों के बीच संबंध का महत्व इससे जाहिर होता है कि भारत ने 2015 में आसियान के लिए एक अलग मिशन तैयार किया जो कि जकार्ता से संचालित है और इसके लिए वहां राजदूत भी तैनात किए गए हैं।