Skip to content

प्रवासियों के लिए क्यों बंद कर दी गई महात्मा गांधी सुरक्षा योजना

भारत सरकार ने 2012 में प्रवासियों के लिए आर्थिक सुरक्षा की गारंटी देने वाली स्कीम महात्मा गांधी सुरक्षा योजना की शुरुआत की थी, लेकिन प्रवासियों का साथ न मिलने पर इसे बंद कर दिया गया।

भारत ने इमिग्रेशन चेक रिक्वॉयर्ड (ECR) पासपोर्ट धारकों और विशेष रूप से खाड़ी देशों में काम कर रहे अपने लोगों के लिए 'महात्मा गांधी प्रवासी सुरक्षा योजना' (MGPSY) की शुरुआत की थी। इन देशों में काम कर रहे भारतीय कामगारों पर अक्सर ही नौकरी जाने का खतरा मंडराता रहता है। इसी को देखते हुए यह योजना लाई गई थी, ताकि उन्हें सामजिक सुरक्षा दी जा सके। इसके अंतर्गत उनके लिए पुनर्वास से लेकर वृद्धावस्था तक का ख्याल रखने की प्लानिंग की गई थी लेकिन यह योजना 5 साल  के अंदर ही बंद हो गई। आखिर भारत ने इस योजना को क्यों बंद कर दिया? जानने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट में...

योजना की मुख्य बातें

मई 2012 में शुरू हुई यह योजना को राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) से जोड़ा गया था। एनपीएस लाइफ की कवरेज लेने वाले वे प्रवासी हैं जो हर साल 1000 से 12000 रुपये की बचत कर लेते थे। अगर वे  (MGPSY) योजना से जुड़ते थे तो भारत सरकार भी उनके बचत में 1000 रुपये का अंशदान करती थी। महिला कामगारों को भी बचत में 1000 रुपये का अंशदान दिया जाता था। वहीं, अगर कोई महिला हर साल एनपीएस से 4,000 रुपये से अधिक की बचत कर रही होती थीं उनकी वापसी और पुनर्वास के लिए 900 रुपये का विशेष सरकारी योगदान दिया जाता था।

This post is for paying subscribers only

Subscribe

Already have an account? Log in

Latest