कोरोना के कारण भारत में होने वाली मौतों की संख्या की गणना करने की विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की पद्धति भारतीय अधिकारियों द्वारा खारिज कर दी गई थी, जिसको लेकर अब WHO ने नए तर्क दिए हैं और कहा है कि गिनती के जिस मॉडल की आलोचना की जा रही है, उसे भारत में उपयोग नहीं किया गया।

संगठन के तकनीकी सलाहकार समूह के सदस्य जॉन वेकफील्ड ने भारतीय मीडिया को बताया कि WHO की जिस पद्धति में भारतीय अधिकारी कमियां निकालकर खारिज कर रहे हैं, वह पद्धति उस पद्धति से अलग है जो WHO ने भारत के लिए तय की है। वेकफील्ड ने कहा कि WHO ने बिना डेटा वाले देशों के लिए एक मॉडल विकसित किया है और सबनेशनल डेटा वाले देशों के लिए एक अलग मॉडल विकसित किया है। भारत सरकार के अधिकारी जिस मॉडल की आलोचना कर रहे हैं वह भारत के लिए उपयोग नहीं की गई।
भारत को सबनेशनल डेटा वाले देशों वाले एक अलग मॉडल में रखा गया है, जिसका जिक्र भारतीय अधिकारी नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार की आलोचना पहले मॉडल को लेकर थी, जिसका हमने भारत के लिए उपयोग नहीं किया। भारत को बार-बार इसकी सूचना दी गई है।
बता दें कि वेकफील्ड वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी में बायोस्टैटिस्टिक्स के प्रोफेसर हैं। पिछले सप्ताह डब्ल्यूएचओ ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसके अनुसार कोविड-19 भारत में 2020 और 2021 में लगभग 4.74 मिलियन (47,40,000) लोगों की जान ले सकता था। ऐसा सीधे संक्रमण के चलते भी संभव था या संक्रमण के अप्रत्यक्ष प्रभाव से। लेकिन ऐसा भारत में नहीं हुआ। भारत में साल 2021 के अंत तक सरकारी आंकड़ों के अनुसार कोरोना से मौत WHO की रिपोर्ट की तुलना में दस गुना कम 481,000 हुई थीं।
वेकफील्ड ने टाइम्स ग्रुप के एक अखबार को इंटरव्यू देते हुए कहा कि मेरा एकमात्र अनुरोध सभी देशों से है कि वे जल्द से जल्द सटीक मृत्यु दर का पता लगाएं ताकि वे इस भयानक महामारी से मरने वालों की संख्या को सूचीबद्ध कर सकें। वेकफील्ड ने कहा कि भारत में हुई मौतों की संख्या की गणना राज्य-वार नहीं बल्कि पूरे देश के लिहाज से की गई है। जानकारी के लिए बता दें कि भारत ने डब्ल्यूएचओ के अनुमान को निराधार करार दिया था और WHO पर भारत की छवि खराब करने का आरोप लगाया था।