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भारतीय मूल के 8 छात्रों ने ऐसा क्या किया कि हरेक को मिले 90 हजार डॉलर?

इन छात्रों को इनकी उपलब्धियों और अध्ययन के क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए सार्थक योगदान देने की इनकी क्षमता के लिए इन्हें सम्मानित किया गया है। सम्मान पाने वालों में ध्रुव गौड़, श्यामला, जसप्रीत कौर, ओमर खान, नाथन मल्लिपेड्डी, अर्जुन मेंटा, वैभव मोहंती और शौमिक वर्मा शामिल हैं।

भारतीय मूल के 8 छात्रों को मिला 'द पॉल एंड डेजी सोरोस फेलोशिप फॉर न्यू अमेरिकन्स' (फोटो : pd soros)

भारतीय मूल के आठ अमेरिकी छात्रों को 'द पॉल एंड डेजी सोरोस फेलोशिप फॉर न्यू अमेरिकन्स' से सम्मानित किया गया है। ये सभी उन 30 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें आगे अध्ययन में सहायता के तौर पर हरेक को 90 हजार डॉलर की राशि दी जाएगी। फेलोशिप के निदेशक क्रेग हारवुड ने कहा कि आप्रवासियों ने अमेरिका को मजबूत बनाया है।

पॉल एंड डेजी सोरोस फाउंडेशन के अनुसार इनकी उपलब्धियों और अध्ययन के क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए सार्थक योगदान देने की इनकी क्षमता के लिए इन्हें चुना गया है। इनमें भारतीय मूल के ध्रुव गौड़, श्यामला रामकृष्ण, जसप्रीत कौर, ओमर एम खान, नाथन मल्लिपेड्डी, अर्जुन मेंटा, वैभव मोहंती, शौमिक वर्मा को लगभग 2,000 आवेदकों में से चुना गया है।

ध्रुव गौड़: ध्रुव गौड़ ने ब्राउन विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि हासिल की है। उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य और अर्थशास्त्र का अध्ययन किया है। ध्रुव गौड़ ने अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल करते हुए अग्नाशय कैंसर अनुसंधान के लिए एक एक लाख डॉलर से अधिक रकम जुटाए थे। स्नातक होने के बाद से उन्होंने हार्वर्ड में प्री-डॉक्टरेट रिसर्च फेलो के रूप में काम किया है। वह अर्थशास्त्र में पीएचडी करना चाहते हैं।

श्यामला रामकृष्ण

श्यामला रामकृष्ण: राजनीति और अर्थशास्त्र से स्नातक कर्नाटक संगीत की जानकार श्यामला अपने बैंड ‘फोरगर’ में प्रमुख गायिका हैं। येल में उन्होंने एक गायन समूह ‘शेड्स’ का निर्देशन किया है जो अमेरिका के वंचित पब्लिक स्कूलों में मुखर संगीत कार्यशालाओं का आयोजन करता है। उन्होंने अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन में कानूनी अनुसंधान और एशियाई अमेरिकी कला गठबंधन में कला प्रशासन में काम किया है।

नाथन मल्लिपेड्डी: नाथन ने महत्वपूर्ण चिकित्सा संसाधनों के साथ हकलाने वाले लोगों के लिए माईस्पीच की स्थापना की। माईस्पीच ने 25 से अधिक देशों में हकलाने वाले 30,000 से अधिक लोगों के बोलने की गुणवत्ता में 90% सुधार किया है। इसके साथ ही चिकित्सा पर लागत में 15 गुना कमी की है। वर्तमान में वह हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस में एमडी / एमबीए के छात्र हैं।

अर्जुन मेंटा: जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय से एमडी की पढ़ाई कर रहे अर्जुन मेंटा न्यूरो सर्जरी में एक कुशल शोधकर्ता हैं और उनके पास उनके शोध पर आधारित कई पेटेंट हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग, डेटा विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में भी शोध किया है। उनका उद्देश्य चिकित्सा की एक ऐसी दुनिया बनानी है जो निरंतर नए नए शोध के कार्य में जुटा है। वह व्यावहारिक चिकित्सा, अनुसंधान और नए प्रयोग के बीच अंतराल को पाटना चाहते हैं।

जसप्रीत कौर: जसप्रीत फिल्मों के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाना चाहती हैं। वह ब्राउन गर्ल जॉय प्रोडक्शंस की सह-संस्थापक हैं। यह संस्था अल्पसंख्यक समुदायों के हितों की बातें फिल्में के माध्यम से करता है। अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले के बाद मुसलमानों के खिलाफ नफरती माहौल को खत्म करने के लिए उन्होंने फिल्में बनाकर मुख्यधारा की मीडिया को चुनौती दी थी। हाई स्कूल में उन्होंने 'एलए फिल्म समिट: शेपिंग द फ्यूचर' की स्थापना की थी।

ओमर एम खान: ओमर न्यू ऑरलियन्स लुइसियाना के रहने वाले हैं। वह स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में स्टेम सेल जीव विज्ञान में एमडी/पीएचडी कर रहे हैं। येल में उन्होंने आणविक, सेलुलर और विकासात्मक जीव विज्ञान और वैश्विक स्वास्थ्य पर अध्ययन किया है। हाई स्कूल में अपने शोध प्रदर्शन के बाद उन्होंने प्रोफेसर रिचर्ड फ्लेवेल की प्रयोगशाला में शोध पर चार साल बिताए हैं।

वैभव मोहंती: बतौर वैज्ञानिक वैभव गंभीर बीमारियों से निपटने के लिए नए चिकित्सीय दृष्टिकोण विकसित करने की इच्छा रखते हैं। वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय और एमआईटी में रसायन विज्ञान में एमडी / पीएचडी हैं। उन्होंने 2019 में रसायन विज्ञान (सिद्धांत) में मास्टर डिग्री और संगीत के साथ रसायन विज्ञान, भौतिकी में स्नातक की की उपाधि हासिल की है। भौतिकी अनुसंधान के लिए 2018 में वह बैरी गोल्ड वाटर छात्रवृत्ति हासिल कर चुके हैँ।

शौमिक वर्मा: प्रदूषण के कारण अपने चाचा को खोने के बाद शौमिक ने फैसला कर लिया था कि वह स्वच्छ ऊर्जा के लिए अपना जीवन समर्पित कर देंगे। ड्यूक विश्वविद्यालय में मैकेनिकल इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के दौरान उन्होंने ड्यूक इलेक्ट्रिक वाहन टीम को ईंधन क्षमता को विकसित करने के लिए दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स तक पहुंच बनाने में मदद की। ब्रिटेन में मार्शल स्कॉलर के रूप में उन्होंने सोलर कोशिकाओं की क्षमता में सुधार करने पर काम किया।

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