देश भर से और विश्व के अनेक देशों के सैकड़ों पत्रकार और चैनलों के साथी सुरक्षित स्थलों पर बैठकर यह दृश्य देख रहे थे। मैं एकमात्र पत्रकार था, जो कारसेवकों के साथ परिसर में अंदर पहुंच चुका था। इसी बीच सुरक्षा बलों ने मुख्य द्वार पर फिर से ताला डाल दिया। परिसर में मौजूद कारसेवकों ने लोहे की रैलिंगों को तोड़कर उनसे ढांचा तोड़ना शुरू कर दिया। दर्जन भर कारसेवक ढांचे के ऊपर चढ़ गये, और उन्होंने गुंबद तोड़ दिया। इत्तफाक से मेरे पास एक छोटा कैमरा था, जिससे मैं फोटो भी खींच रहा था। पुलिस बल अन्दर मौजूद कारसेवकों पर रबर बुलेट बरसा रहे थे। चोटिल कारसेवकों के खून से फर्श लाल हो चुका था। कारसेवक चोट और खून को भूल निरन्तर ‘‘जय श्रीराम” का उद्घोष कर रहे थे। उधर दूसरी ओर बाहर से गोलियां चलने की आवाजें कान में गूंज रही थीं। लगभग 40मिनट तक चले कारसेवकों के इस तांडव ने मस्जिद को भारी क्षति पहुंचाई।
