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भारतीय-अमेरिकी संगठनों ने USCIRF की धार्मिक स्वतंत्रता पर रिपोर्ट को क्यों कहा पक्षपाती

फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS) के खंडेराव कांड ने आरोप लगाया कि भारत पर USCIRF की रिपोर्ट अमेरिका में भारत विरोधी अभियान चलाने वालों के एजेंडे को दर्शाती है। ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा (GKPD) ने इस रिपोर्ट को निराशाजनक करार दिया है।

जाने-माने भारतीय अमेरिकियों के समूहों ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट पर निराशा व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि यह रिपोर्ट भारत को लेकर पक्षपाती है। रिपोर्ट ने बाइडेन प्रशासन को भारत, चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और 11 अन्य देशों को धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति के संदर्भ में विशेष चिंता वाले देश के रूप में नामित करने की सिफारिश की है। हालांकि सिफारिशें अमेरिकी सरकार पर बाध्यकारी नहीं हैं।

फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS) के खंडेराव कांड ने आरोप लगाया कि भारत पर USCIRF की रिपोर्ट अमेरिका में भारत विरोधी अभियान चलाने वालों के एजेंडे को दर्शाती है। रिपोर्ट यह मानने के बजाय कि भारत का नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) एक ऐसा अधिनियम है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक रूप से प्रताड़ित शरणार्थियों को नागरिकता देता है। इसे गलत तरीके से नागरिकता छीनने के कार्य के रूप में पेश किया जाता है। इसके अलावा भारत सरकार द्वारा लागू किया जाने वाले राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) को लेकर भी रिपोर्ट सही व्याख्या करने में विफल रही है। जबकि यह सभी लोकतांत्रिक देशों में लागू किया जाता है और भारत में इसे सर्वोच्च अदालत के फैसले के अनुसार लागू किया जा रहा है।

ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा (GKPD) के संस्थापक सदस्य जीवन जुत्शी ने कहा कि यह निराशाजनक है कि रिपोर्ट में केवल कश्मीर के मुसलमानों का हवाला दिया गया है लेकिन कश्मीरी पंडित हिंदुओं को नजरअंदाज कर दिया गया है, जो आतंकवाद के शिकार रहे और उनकी हत्या कर दी गई थी। यह रिपोर्ट उल्लेख करने में विफल रही है कि धारा 370 के उन्मूलन के बाद स्थिति सामान्य हो गई है।

बांग्लादेश के अल्पसंख्यक जर्नल और दलित कांथा की अमेरिका स्थित संपादक प्रिया साहा ने रिपोर्ट को लेकर कहा कि रिपोर्ट भारत की मानवीय साख के विपरित है क्योंकि मेरे विस्तारित परिवार के 90 फीसदी और बांग्लादेश के अधिकांश स्वदेशी लोग जिहादियों से अपनी जान बचाने के लिए भारत जा रहे हैं।

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