अमेरिका ने दक्षिण अफ्रीकी अधिकारियों के साथ इस बात को लेकर चिंता जताई है कि विवादों में घिरे गुप्ता परिवार को यहां शिवा यूरेनियम माइन खरीदने के लिए ईरान से पैसा मिल रहा था। यह जानकारी भ्रष्टाचार के इस मामले की एक गहन न्यायिक जांच पर अंतिम रिपोर्ट में दी गई है।

यह रिपोर्ट दक्षिण अफ्रीका के मुख्य न्यायाधीश रेमंड जोंडो ने बुधवार को राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को सौंपी थी। इसमें दावा किया गया है कि भारतीय मूल के गुप्ता परिवार की जांच के लिए स्टेट सिक्योरिटी काउंसिल (SSA) के तीन शीर्ष अधिकारियों की ओर से किए गए प्रयासों को एजेंसी के तत्कालीन मंत्री सियाबोंगा क्वेले ने विफल कर दिया था।
आयोग ने चार साल की जांच के बाद राष्ट्रपति को अंतिम रिपोर्ट सौंपी है। इसमें गुप्ता बंधुओं- अजय, अतुल और राजेश के बारे में कहा गया है कि उन्होंने सरकारी प्रतिष्ठानों से अरबों रैंड की कथित लूट की। रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसा उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के साथ अपनी नजदीकी का लाभ उठाते हुए किया।
माना जा रहा है कि अतुल और राजेश इस समय दुबई में हिरासत में हैं और दक्षिण अफ्रीका की ओर से किए गए प्रत्यर्पण अनुरोध पर अंतिम फैसले का इंतजार कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गुप्ता फैमिली दक्षिण अफ्रीका में विशेष स्थान रखती है। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में यह रिपोर्ट इस देश में उनके प्रभुत्व और धाक को नुकसान पहुंचा सकती है।
गुप्ता परिवार के मुख्य सदस्य अजय, अतुल और राजेश गुप्ता हैं। तीनों ने भारत के सहारनपुर से पढ़ाई की है। पहले तीनों ने भारत में अपने पिता के साथ काम की शुरुआत की थी। यहां इनकी राशन की दुकानें थीं। बाद में उन्होंने मसालों को विदेश निर्यात करने की शुरुआत की थी। जानकारी के अनुसार साल पिता की मौत के बाद 1993 में गुप्ता बंधु दक्षिण अफ्रीका आ गए थे।
दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने सबसे पहले सहारा कंप्यूटर्स के नाम से अपना पहला व्यवसाय शुरू किया था। आज गुप्ता परिवार की यहां कई कंपनियां हैं जो कोयला खनन, कंप्यूटर, अखबार और मीडिया आउटलेट जैसे काम करती हैं। परिवार का व्यापार यहां इतना बढ़ा की साल 2016 में वह दक्षिण अफ्रीका के सातवें सबसे अमीर शख्स बन गए थे।
इस परिवार पर आरोप है कि उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के साथ अपने संबंधों का लाभ उठाया और दक्षिण अफ्रीका की सरकार के सभी स्तरों पर राजनीतिक लाभ हासिल किए। इसके अलावा गुप्ता परिवार पर कारोबारी कॉन्ट्रैक्ट प्राप्त करना, उच्च सरकारी पदों पर नियुक्तियों को प्रभावित करना और सरकारी पैसे का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगा है।