बतौर मुख्यमंत्री कल्याण सिंह बाबरी विध्वंस की जिम्मेदारी ले चुके थे। केन्द्र सरकार ने विवादित स्थल की सुरक्षा न कर पाने का जिम्मेदार मानते हुए कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त किया, पर कल्याण सिंह का कहना था कि उन्होंने घटना की जिम्मेदारी लेते हुए खुद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस घटना का एक अनदेखा और अनसुना पहलू यह भी है कि बतौर मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अपनी पार्टी भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों द्वारा किए गए बाबरी विध्वंस के पक्ष में नहीं थे। इस पूरे मुद्दे पर कल्याण सिंह और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच मतभेद था।
राज्य के विकास को लिए गंभीर थे कल्याण सिंह

इस अनसुने पहलू का जिक्र कल्याण सिंह सरकार में सूचना निदेशक के पद पर तैनात रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनिल स्वरूप ने सेवा से अवकाश प्राप्ति के बाद लिखी अपनी पुस्तक ‘एथिकल डिलेमाज ऑफ अ सिविल सर्वेन्ट’ में बाबरी विध्वंस के समय कल्याण सिंह की मनोदशा का जिक्र करते हुए कहा है कि कल्याण सिंह राम मंदिर मुद्दे को लेकर काफी गंभीर थे। वह मंदिर से हटकर उत्तर प्रदेश को एक नया जीवन्त और बहुमुखी विकसित राज्य बनाना चाहते थे। वह चाहते थे कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने, लेकिन शांतिपूर्ण एवं दोनों पक्षों की आम सहमति से रास्ता निकाला जाये। कल्याण सिंह अपनी पार्टी और उसके सहयोगी संगठनों के अलावा अन्य दक्षिणपंथियों की अतिवादी विचार धारा के पक्ष में नहीं थे। वह मस्जिद गिरवाकर अपनी पूर्ण बहुमत वाली सरकार को क्यों गिरवाना चाहते?
सिंह को ध्वस्तीकरण के बाद के परिणामों का अंदाजा था