​क्रांति! नौकरी का ऑफर हाथ में न हो तो भी मिलेगा ब्रिटेन का वर्किंग वीजा

ब्रिटेन द्वारा शुरू किया गया हाई पोटेंशियल इंडिविजुअल वीजा (HPI) भारतीय समेत दुनिया के शीर्ष 50 गैर यूके विश्वविद्यालयों से स्नातक कर चुके छात्रों के लिए सुनहरा अवसर लेकर आया है। लंदन सरकार द्वारा सोमवार से शुरू किए गए इस वीजा के माध्यम से अब भारतीय छात्र ब्रिटेन जा सकते हैं और वहां रहते हुए काम कर सकते हैं।

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एक संयुक्त घोषणा में भारतीय मूल के ब्रिटेन के कैबिनेट मंत्री ऋषि सनक और प्रीति पटेल ने कहा कि इस वीजा श्रेणी का उद्देश्य दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली प्रतिभाओं को आकर्षित करना है। सफल आवेदकों को दो साल का वर्किंग वीजा दिया जाएगा जिसमें पीएचडी वाले लोगों को तीन साल का वर्किंग वीजा दिया जाएगा। वीजा देने के लिए नौकरी का ऑफर होना अनिवार्य नहीं है।

चांसलर ऋषि सनक ने कहा कि इस नए वीजा प्रस्ताव का मतलब है कि यूके दुनिया भर से सबसे अच्छे और प्रतिभाशाली लोगों को आकर्षित करना जारी रखे हुए है। इस मार्ग का मतलब है कि यूके नवाचार, रचनात्मकता और उद्यमिता के लिए एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में विकसित होगा। हम चाहते हैं कि आने वाले कल के व्यवसाय आज यहां से ही निर्मित हों। यही कारण है कि मैं छात्रों से यहां अपना करियर बनाने के इस अविश्वसनीय अवसर का लाभ उठाने का आह्वान करता हूं।

यूके में जन्मे सनक ने कहा कि यूके पहले से ही कुछ सबसे महत्वपूर्ण स्टार्टअप का घर है। यूके इसके अलावा रिसर्च एंड डेवलपमेंट में सबसे आगे है और बेहतर जिंदगी जीने के लिए अविश्वसनीय रूप से विविध और रोमांचक जगह है। इस वीजा के जरिए हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड और एमआईटी जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से विज्ञान, इंजीनियरिंग और चिकित्सा अनुसंधान जैसे विषयों में स्नातक होने के बाद अपने कौशल को यूके में लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

यूके की गृह सचिव प्रीति पटेल ने कहा कि हमारे पॉइंट-आधारित इमिग्रेशन सिस्टम के हिस्से के रूप में इस नए और रोमांचक मार्ग को लॉन्च करने पर मुझे गर्व है जो क्षमता और प्रतिभा को पहले रखता है न कि इस बात को कि कौन कहां से आता है। प्रीति पटेल ने बताया कि जिन 50 विश्वविद्यालयों को सूची में जगह दी गई है उन्हें टाइम्स हायर एजुकेशन और विश्व विश्वविद्यालयों की अकादमिक रैंकिंग द्वारा तैयार की गई सालाना रिपोर्ट में से लिया गया है। इसमें अमेरिका, कनाडा, जापान, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, हांगकोंग, चीन, सिंगापुर, फ्रांस, स्वीडन और स्विटजरलैंड के विश्वविद्यालय शामिल हैं।