स्कॉटलैंड यार्ड (लंदन) में एकमात्र भारतीय मूल के आतंकवाद रोधी पुलिस के प्रमुख नील बसु ने कहा है कि जिस तरह से नई नियुक्ति की प्रक्रिया में पदोन्नति की जा रही हैं, वह उससे निराश हैं और यूके के होम आफिस से इस मसले पर स्पष्टीकरण चाहते हैं। यह दावा ब्रिटेन की मीडियो रिपोर्ट में किया जा रहा है।

नील बसु एक मेट्रोपॉलिटन पुलिस सहायक आयुक्त हैं और देश के सबसे वरिष्ठ गैर-श्वेत अधिकारी हैं। बसु राष्ट्रीय अपराध एजेंसी (NCA) का नेतृत्व करने की दौड़ में थे, जिसे अमेरिका की संघीय जांच ब्यूरो (FBI) के यूके के संस्करण के रूप में जाना जाता है। नील बसु के राष्ट्रीय अपराध एजेंसी (NCA) की अंतिम दो उम्मीदवारों में पहुंचने के बाद आवेदनों को फिर से खोल दिया गया।
नील बसु ने इस मसले पर कहा है कि जिस तरह से प्रक्रिया समाप्त हुई है उससे मैं निराश हूं और दोबारा आवेदन नहीं करूंगा। 53 वर्षीय बसु ने कहा कि मैं होम आफिस से स्पष्टीकरण मांगूंगा। नील बसु को वकीलों से परामर्श करने वाला समझा जाता है और उन्होंने होम आफिस को नोटिस देने की योजना बनाई है। इसके अलावा वह एक औपचारिक शिकायत दर्ज करने का भी इरादा रखते हैं।
ब्रिटेन के समाचारपत्र संडे टाइम्स का कहना है कि निजी तौर पर 2,23,000 पाउंड सालाना की नौकरी से चूकने के लिए वह गुस्से में हैं। पिछले हफ्ते अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड (जिसकी मौत के बाद दुनिया भर में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन की शुरुआत हुई थी) की हत्या की दूसरी बरसी पर बसु ने एक लेख लिखा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि ब्रिटिश पुलिस को यह स्वीकार करना होगा कि यह संस्थागत रूप से नस्लवादी है और अश्वेत और एशियाई अधिकारियों की संख्या बढ़ाने को लेकर भेदभाव करती है।
बता दें कि यदि NCA की नौकरी के लिए उनकी उम्मीदवारी सफल हो जाती तो बसु पहले दक्षिण एशियाई बन जाते जो यूके के कानून प्रवर्तन संगठन का नेतृत्व करते। बसु के पिता एक भारतीय थे और उनकी मां वेल्श थीं। संगठित अपराध के खिलाफ ब्रिटेन की प्रमुख एजेंसी एनसीए में शीर्ष पद पिछले साल अक्टूबर में डेम लिन ओवेन्स के चिकित्सा आधार पर महानिदेशक के पद से हटने के बाद खाली हो गया था।