रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग की वजह से भारत के ऐसे तमाम स्टूडेंट भी प्रभावित हुए हैं, जो यूक्रेन में डॉक्टरी की पढ़ाई करने गए थे। युद्ध की वजह से इन्हें पढ़ाई बीच में छोड़कर ही भारत वापस आना पड़ा था। तब से इनके भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ये अनिश्चितता अब जल्द ही खत्म हो सकती है।
यूक्रेन से MBBS करने वाले भारतीय स्टूडेंट्स के संगठन इंडो-यूक्रेन स्टूडेंट फ्रंट ने नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने मांग की थी कि यूक्रेन युद्ध को ध्यान में रखते हुए उन्हें भारत के मेडिकल कॉलेजों में समायोजित किया जाए। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक स्टूडेंट्स ने दावा किया है कि आयोग ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि जल्द ही इस मसले पर फैसला किया जाएगा। ये मुद्दा उनके विचाराधीन है। इस बारे में निर्णय की जानकारी एनएमसी की वेबसाइट पर दी जाएगी। स्टूडेंट्स के मुताबिक उनसे 8 जुलाई तक इंतजार करने को कहा गया है।
रूस के हमले के बाद अपनी पढ़ाई अधर में छोड़कर भारत वापस लौटे करीब 250 छात्रों ने आयोग का दौरा किया था। उन्होंने एक ज्ञापन देकर ट्रांसक्रिप्ट उपलब्ध कराए जाने की मांग की। अंतरराष्ट्रीय स्थानांतरण के लिए ये ट्रांसक्रिप्ट अनिवार्य होती है। स्टूडेंट यूनियन ने आयोग से उनकी ऑनलाइन कक्षाओं को मान्य करने का अनुरोध करते हुए दिशानिर्देश जारी करने की गुहार लगाई।
यूक्रेन के एक एमबीबीएस कॉलेज के छात्र कुलदीप सिंह ने एक्सप्रेस को बताया कि वहां के जिन विश्वविद्यालयों में भारतीय स्टूडेंट पढ़ाई करते हैं, वहां से ट्रांसफर के लिए कागजात और ट्रांसक्रिप्ट लाना किसी चुनौती से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक नैशनल मेडिकल कमीशन इस बारे में अपनी गाइडलाइंस सुप्रीम कोर्ट में दाखिल नहीं कर देता, हमारे पास का इंतजार करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।
बता दें कि अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया था कि यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे अंतिम वर्ष के छात्रों को स्क्रीनिंग टेस्ट में बैठने की अनुमति दी जानी चाहिए। अगर उन्हें मंजूरी मिल जाती है तो वे भारत में अपनी दो साल की इंटर्नशिप के लिए रजिस्ट्रेशन कराने की छूट दी जाए।