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UK के वीजा नियमों में बदलाव भारतीयों को आने से रोकने के लिए नहींः मंत्री

ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने हाल ही में हाउस ऑफ कॉमन्स में बयान में कहा था कि स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों को ब्रिटेन में अपने परिवार के सदस्यों को लाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसी पर ब्रिटेन के उप विदेश मंत्री लॉर्ड तारिक अहमद ने सफाई दी है।

हैदराबाद की चार मीनार के पास चाय की चुस्कियां लेते यूके के मंत्री तारिक अहमद (बाएं) फोटो twitter @tariqahmadbt 

यूके में वीजा नियमों में हालिया बदलावों से भारतीयों पर असर को लेकर ब्रिटेन के उप विदेश मंत्री लॉर्ड तारिक अहमद ने सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि ब्रिटेन के वीजा नियमों में बदलाव से भारतीय स्नातक छात्रों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

https://twitter.com/tariqahmadbt/status/1663469348894154753

लॉर्ड अहमद ने कहा कि यूके सरकार को भारतीय छात्रों से काफी फायदा हुआ है। हाल के वीज़ा नियम केवल शोध और डॉक्टरेट की पढ़ाई के पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए हैं जो एडमिशन तो ले लेते हैं लेकिन कभी-कभी अपना कोर्स पूरा नहीं करते हैं।  लॉर्ड अहमद ने एक भारतीय न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि जो छात्र स्नातक अध्ययन और शोध के लिए ब्रिटेन आते हैं, उनका हमेशा स्वागत किया जाएगा। ब्रिटेन सरकार केवल अवैध अप्रवासन को रोकना चाहती है। उसकी इच्छा है कि भारत से अधिक छात्र वहां जाकर पढ़ाई करें।

लॉर्ड अहमद इन दिनों भारत की 4 दिवसीय यात्रा पर हैं। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाकात की। स्टार्टअप्स में इनोवेशन देखने के लिए उनका हैदराबाद जाने का भी कार्यक्रम है। इस साल की शुरुआत में ब्रिटेन में भारतीय दूतावास के बाहर खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनों को लेकर हुए विवाद के बाद लार्ड तारिक की यात्रा को भारत-ब्रिटेन संबंधों में सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

बता दें कि हाल ही में ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने हाउस ऑफ कॉमन्स में दिए अपने लिखित बयान में कहा था कि कुछ अंतरराष्ट्रीय छात्रों को ब्रिटेन में अपने परिवार के सदस्यों को लाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा था कि नियमों में ये बदलाव स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए हैं। शोध कार्यक्रमों में पढ़ाई कर रहे विदेशी छात्रों पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। शोध आधारित स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और पीएचडी आदि की पढ़ाई करने वालों को अपनी पत्नी-बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता को आश्रितों के रूप में लाने की अनुमति होगी।

ब्रेवरमैन ने अपने बयान में बेईमान शिक्षा एजेंटों पर नकेल कसने का भी ऐलान करते हुए कहा था कि ये लोग अप्रवासन को बेचने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। इनके जरिए आने वाले छात्रों का असली इरादा पढ़ाई करने का नहीं होता है। ये लोग यूके में नौकरी खोजने के लिए इसका इस्तेमाल पिछले दरवाजे के रूप में करते हैं।

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