UAE को भारत में भविष्य क्यों बेहतर दिख रहा, चौथे नंबर का बना निवेशक

आज दुनिया के कई देश भारत को निवेश के तौर पर बेहतर विकल्प के तौर पर देख रहे हैं। वैश्विक कंपनियां भारत में निवेश के लिए पहले से ज्यादा तैयार हैं। अमेरिका व ब्रिटिश कंपनियां सिंगापुर एवं जापान की तुलना में भारत को अपने लिए सबसे मुफीद और आकर्षक बाजार के तौर पर देख रही हैं।भारत एक तेजी से उभरती आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर है। यही कारण है कि दुनिया के तमाम देश भारत में निवेश करना चाहते हैं, जिससे वे भविष्य में इसके मिलने वाले लाभों से वंचित न हो जाएं।

भारत में नीतिगत सुधारों को दिया जा रहा है श्रेय। Photo by Andrea Leopardi / Unsplash

यही वजह है कि आज भारत में निवेश के लिए जैसे दुनिया के देशों में प्रतियोगिता चल रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बीते वित्त वर्ष 2022-23 की बात करें तो 17.2 अरब डॉलर के निवेश के साथ सिंगापुर भारत में सबसे बड़ा निवेशक था। इसके बाद मॉरीशस (6.1 अरब डॉलर) और अमेरिका (छह अरब डॉलर) का स्थान था। इसी कड़ी में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत में चौथा सबसे बड़ा निवेशक बनकर उभरा है। गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच पिछले साल मई में वृहद मुक्त व्यापार समझौता (FTA) लागू हुआ था।

भारत में निवेश के लिहाज से यूएई 2021-22 में 7वें नंबर पर था। Photo by Darcey Beau / Unsplash

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वित्त वर्ष में यूएई से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) सालाना आधार पर तीन गुना होकर 3.35 अरब डॉलर हो गया। यह इससे पिछले वित्त वर्ष में 1.03 अरब डॉलर था। भारत में एफडीआई के लिहाज से यूएई वित्त वर्ष 2021-22 में सातवें स्थान पर था। 2022-23 में वह चौथे स्थान पर आ गया।

शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के भागीदार रुद्र कुमार पांडेय का कहना है कि भारत और यूएई के बीच द्विपक्षीय संबंधों और निवेश सहयोग के मजबूत होने का श्रेय नीतिगत सुधारों को दिया जा सकता है। इसके साथ ही उनका कहना है कि इसमें वृहद आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) का महत्वपूर्ण स्थान है। पांडेय के मुताबिक भारत में यूएई का निवेश मुख्य रूप से सर्विस, समुद्री परिवहन, बिजली और निर्माण गतिविधियों जैसे क्षेत्रों में है।

बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 75 अरब डॉलर का निवेश करेगा UAE। Photo by Harshal S. Hirve / Unsplash

पांडेय का कहना है कि यूएई ने भारतीय बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 75 अरब डॉलर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। यूएई ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में भारत के साथ साझेदारी करने की भी प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने बताया कि भारत और यूएई ने पिछले साल एक मई से एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते का संचालन किया है। समझौते के तहत दोनों देशों के कई सामानों को एक-दूसरे के बाजारों में शून्य शुल्क पहुंच मिल रही है। इसके अलावा निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रक्रियाओं को भी आसान बनाया गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि व्यापार समझौते ने देशों के बीच आयात और निर्यात को बढ़ाने में काफी मदद की है। इसके परिणामस्वरूप भारतीय कंपनियों में यूएई से निवेश में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, एफडीआई नीति को लगातार उदार बनाए जाने से भी इस तरह के निवेश को बढ़ावा मिला है। इसी तरह हम यह भी देख रहे हैं कि कई भारतीय स्टार्टअप संयुक्त अरब अमीरात में विस्तार की संभावनाएं तलाश रहे हैं।  

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