तमाम आलोचनाओं के बाद 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भारतीय मूल की तुलसी गबार्ड ने ट्विटर पर बताया कि उन्हें विश्वास नहीं है कि रूस की तरह यूक्रेन में जैविक हथियार प्रयोगशालाएं या जैविक हथियार हैं। उन्होंने कहा कि वह इस तथ्य के बारे में चिंता जता रही हैं कि एक सक्रिय युद्धक्षेत्र में जैविक हथियारों पर शोध करने वाली कई प्रयोगशालाएं हैं। इस बयान के बाद तुलसी पर रूस समर्थक होने का आरोप लगा था। इन आरोपों के बाद तुलसी ने आलोचकों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और अपने पूर्व के बयान को लेकर सफाई दी है।
(1/4) I'm not convinced there are biological weapons labs or biological weapons in Ukraine—that's not what I'm concerned about. I'm concerned about the existence of the 25+ biological labs in that warzone. As i said 2 days ago: https://t.co/ahwgcXfrsb
— Tulsi Gabbard 🌺 (@TulsiGabbard) March 15, 2022
वह यूक्रेन में कथित यूएस-वित्त पोषित जैविक प्रयोगशालाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने की कोशिश करने के बाद रूसी एजेंटों द्वारा भुगतान किए जाने के आरोपों का जवाब दे रही थीं। तुलसी ने 13 मार्च को एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने यूक्रेन में 25 से 30 ऐसी जैविक प्रयोगशालाओं से होने वाले जोखिम का हवाला दिया था। इसके साथ ही इसे अमेरिका और बाकी दुनिया में इसके घातक असर की बात कही थी। उन्होंने रूस, यूक्रेन और नाटो सहित सभी पक्षों से एक संभावित आपदा को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की बात की थी। ऐसी प्रयोगशालाओं के आसपास संघर्ष विराम लागू करने का आह्वान किया था जब तक कि इन्हें नष्ट नहीं कर दिया जाता।