अमेरिका दौरे पर गए भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि भारतीय सिविल एविएशन उद्योग में इस क्षेत्र के अमेरिकी दिग्गजों में बहुत रुचि है। भारत इस रुचि को निवेश में बदलने की उम्मीद करता है। यह निवेश विमान उत्पादन और उनके उपकरणों से लेकर एयरपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर तक और शहरी हवाई यातायात से एयरक्राफ्ट नेविगेशन सिस्टम्स जैसे क्षेत्रों में हो सकता है।

सिंधिया ने यह भी कहा कि भारत का सिविल एविएशन उद्योग कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते बने संकट से धीरे-धीरे ही सही लेकिन लगातार उबर रहा है। वह पिछले सप्ताह न्यूयॉर्क में उद्योग के हिस्सेदारों के साथ एक बैठक में शामिल हुए थे। वह एविएशन क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों लॉकहीड मार्टिन, रेथियॉन टेक्नोलॉजीज, प्रैट एंड व्हिटनी, ब्लेड एयर मोबिलिटी के प्रतिनिधियों से भी मिले थे।
लॉन्ग आईलैंड में स्थित एयर रूट ट्रैफिक सेंटर का दौरा करने के साथ सिंधिया ने दो राउंड टेबल बैठकों में भी हिस्सा लिया था। इनमें से एक यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (UIBC) की सदस्य कंपनियों के साथ थी। इस राउंड टेबल बैठक में विमानन क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की गई। उनकी दूसरी राउंड टेबल बैठक भारतीय प्रवासियों के साथ थी।
इससे पहले सिंधिया ने कहा था कि भारतीय एविएशन उद्योग विकास के नए चरण में प्रवेश कर रहा है। इस साल उड़ान भरने वाले लोगों की संख्या 10 करोड़ होने की उम्मीद है। उन्होंने इस क्षेत्र में भारत में निवेश के फायदे गिनाते हुए कहा कि 1.3 करोड़ की आबादी वाले देश में केवल 1.44 करोड़ अंतरराष्ट्रीय यात्री हैं। यानी केवल आठ से 10 फीसदी। आने वाले समय में इसमें उल्लेखनीय वृद्धि होनी है।
उन्होंने कहा कि यह समय विमानन क्षेत्र में भागीदारी करने के लिए उपयुक्त है। आने वाले समय में कोई समस्या न आए इसके लिए हवाई अड्डों पर क्षमता बढ़ाने का काम लगातार जारी है। सिंधिया ने कहा कि मुझे लगता है कि इस क्षेत्र में व्यापक स्तर पर भागीदारी को बढ़ाने का समय आ गया है। सभी अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस भारत में संभावनाओं और क्षमताओं को स्पष्ट रूप से महसूस कर सकती हैं।