विश्व प्रसिद्ध मैसूर दशहरे के लिए भारत में जुटे दुनिया-भर के सैलानी...

दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक के मैसूर शहर का दशहरा दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इसे देखने के लिए इन दिनों भारत के इस शहर में दुनियाभर से लोग जमा हैं। वैसे तो उत्सव कई दिनं से चल रहा है लेकिन विजयदशमी के दिन यानी आज होने वाला आयोजन प्रमुख है जिसे देखने और उसमें शामिल होने के लिए लोग कई दिन पहले से ही उस शहर में डेरा डाल लेते हैं। उत्सव की शुरुआत 9 दिन पहले हुई थी।

मुख्य समारोह के हिस्से के रूप में तमाम तरह के आयोजन प्रथापूर्वक सवेरे से ही शुरू हो गये हैं। पारंपरिक तौर-तरीकों, ढोल-नगाड़े और अभूतपूर्व उत्साह के साथ लोग तमाम आयोजनों में शामिल हो रहे हैं। खास बात यह है कि मैसूर के पूर्व राजा यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार भी उत्सव में भाग ले रहे हैं।

मैसूर के इस दशहरे की एक खास बात यह भी है कि लोग इसके हिसाब से अपनी छुट्टियों की योजना बनाते हैं। यानी यह उत्सव पूरी दुनिया से लोगों को पर्यटन के लिहाज से भी आकर्षित करता है। इसीलिए कई दिन पहले से वहां का पर्यटन कारोबार जगमनाने लगता है और कई सप्ताह पहले से शहर में देसी-विदेशी पर्यटकों की गहमागहमी शुरू हो जाती है।

इस दशहरे की खासियत...
दशहरे का पर्व असत्य पर सत्य की विजय को उत्सवित करने के लिए पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। श्रीराम की रावण पर जीत को विजय दशमी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने दस सिर वाले (प्रतीक रूप में) रावण का वध किया था। इसीलिए पूरे भारत में इस दिन रावण का पुतला जलाया जाता है जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है। लेकिन मैसूर के दशहरे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें न तो बुराई का प्रतीक रावण कहीं दिखता है और न भगवान राम नजर आते हैं। मैसूर में दशहरा देवी भवानी द्वारा महिषासुर नामक राक्षस के वध की खुशी में मनाया जाता है।

प्रथा और परंपरा...
बताते हैं कि मैसूर शहर का दशहरा 15वीं सदी में शुरू हुआ। किंवदंतियों के अनुसार हरिहर और बुक्का नाम के भाइयों ने 14वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य में नवरात्रि का उत्सव मनाया था। इसके बाद 15वीं शताब्दी में राजा वाडेयार ने दस दिनों के मैसूर दशहरे उत्सव की शुरुआत की। कथाओं के अनुसार वहीं पर चामुंडी पहाड़ी पर माता चामुंडा ने महिषासुर नामक राक्षस का संहार किया था। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया। इसलिए मैसूर के लोग विजयादशमी या दशहरे को धूमधाम से मनाते हैं। अब यह दशहरा अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित कर चुका है। इसीलिए मैसूर में इन दिनों देसी-विदेशी पर्यटकों की बहार है।