भारतीय मूल की स्तन कैंसर से पीड़ित एक 51 वर्षीय महिला को डॉक्टरों ने कुछ साल पहले जिंदगी के केवल कुछ ही महीने दिए थे। लेकिन सोमवार को इस महिला के परिवार में जश्न का माहौल बन गया जब डॉक्टरों ने बताया कि वह अब ठीक हो गई है। महिला का यूनाइटेड किंगडम के एक अस्पताल में क्लिनिकल ट्रायल चल रहा था जहां एक एक्सपेरिमेंटल दवाई ने उसे नया जीवन प्रदान किया।

मैनचेस्टर में फैलोफील्ड की रहने वाली इस महिला का नाम जैस्मिन डेविड है। उनका क्रिस्टी एनएचएस फाउंडेशन में मैनचेस्टर क्लिनिकल रिसर्च फैसिलिटी (MCRF) के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर रिसर्च (NIHR) में दो साल ट्रायल चला और उसका सफल परिणाम देखने को मिला। अब वह सितंबर में अपने विवाह की 25वीं सालगिरह मनाने की तैयारी कर रही हैं।
यह ट्रायल एक एक्सपेरिमेंटल दवा से जुड़ा हुआ था। इसके तहत उन्हें एटेजोलिजुमेब (Atezolizumab) के साथ एक दवा दी गई थी जो कि इम्यूनोथेरेपी की दवाई है। यह दवा अंत:शिरा (Intravenously) के जरिए दी जाती है। इसे उन्हें हर तीन सप्ताह पर लेना होता था। जैस्मिन डेविड कहती हैं कि मुझे इलाज कराए हुए 15 महीने बीत चुके थे और मैं इस बारे में भूल चुकी थी। लेकिन कैंसर फिर वापस लौट आया।
जैस्मिन ने कहा कि जब मुझे इलाज के लिए इस ट्रायल की पेशकश की गई थी तो मुझे नहीं लगा था कि इसका कुछ असर होगा। लेकिन मैंने सोचा कि अगली पीढ़ी और बाकी लोगों की मदद के लिए अपने शरीर का उपयोग कर सकती हूं। उन्होंने कहा कि इलाज की शुरुआत में मुझे तेज बुखार और सिर में दर्द जैसी समस्याएं आई थीं लेकिन आगे चल कर में इलाज का फायदा होता हुआ महसूस हुआ।
बता दें कि जैस्मिन को नवंबर 2017 में स्तन कैंसर होने का पता चला था। छह महीने तक उनकी कीमोथेरेपी चली थी और अप्रैल 2018 में मास्टैक्टोमी की गई थी। इसके बाद उनकी 15 रेडियोथेरेपी भी की गई थीं। इसके बाद कैंसर खत्म हो गया था। लेकिन अक्तूबर 2019 में कैंसर फिर लौट आया और इस बार उनकी स्थिति पहले से भी अधिक गंभीर हो गई।
इस दौरान डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि उनके पास जीने के लिए कुछ महीने ही बचे हैं। दो महीने के बाद जब जैस्मिन के पास कोई विकल्प नहीं बचा था तो उनके सामने इस क्लिनिकल ट्रायल में शामिल हो कर रिसर्च का हिस्सा बनने की पेशकश की गई थी। उन्होंने इस ट्रायल में शामिल होने का फैसला किया और इसका सफल परिणाम भी देखने को मिला जब उन्हें उनकी जिंदगी वापस मिल गई।