भारत के इस राज्य में दुर्लभ और लुप्तप्राय वन्य जीवों के लिए तीन नए ठिकाने

अगर आपको दुर्लभ और लुप्तप्राय वन्यजीवों के नजारे देखने में रुचि है तो भारत के राजस्थान में तीन नए स्थल आपकी लिस्ट में और जुड़ने जा रहे हैं। राजस्थान सरकार के वन विभाग ने बारां में सोरसन, जोधपुर में खिचन और भीलवाड़ा में हमीरगढ़ को वन्यजीव संरक्षण केंद्र के रूप में विकसित करने का ऐलान किया है। आइए बताते हैं इनकी खूबियां और खासियतें।

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राजस्थान में 23 वन्यजीव संरक्षण रिजर्व पहले से मौजूद हैं। इनमें कुछ प्रसिद्ध केंद्रों में टोंक में स्थित बीसलपुर संरक्षण रिजर्व, बीकानेर का जोदबीड गढ़वाला बीकानेर संरक्षण रिजर्व, झुंझुनू का खेतड़ी बंस्याल संरक्षण रिजर्व और पाली का जवाई बांध तेंदुआ संरक्षण रिजर्व शामिल हैं।

सोरसन, बारां
राजस्थान वन विभाग ने जो तीन नए वन्यजीव संरक्षण केंद्र तैयार करने की घोषणा की है, उनमें पहला है सोरसन। यह बारां जिले में स्थित है। बारां शहर अपने राम सीता के मंदिरों, शांत पिकनिक स्थलों और जनजातीय मेलों व त्योहारों के लिए जाना जाता है। सड़क मार्ग से यह जयपुर से लगभग 270 किलोमीटर और दिल्ली से 700 किलोमीटर दूर है।

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सोरसन में घास के मैदान हैं जो ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए सुरक्षित घर बनने जा रहे हैं। पक्षियों की यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है। रिपोर्ट बताती हैं कि दुनिया में इन पक्षियों में से केवल 200 ही बचे हैं। सोरसन न केवल ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का सुरक्षित ठिकाना बनने जा रहा है बल्कि राजस्थान के राजकीय पशु काले हिरण का भी निवास स्थान बनेगा। लगातार शिकार, सुरक्षित स्थलों की कमी और बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की वजह से इनकी संख्या तेजी से घट रही है।

खीचन, जोधपुर
दूसरा वन्यजीव संरक्षण केंद्र खीचन में बनाने का ऐलान किया गया है। यह जोधपुर जिले के फलोदी तहसील में स्थित एक गांव है। सर्दियों के दिनों में यहां पर हजारों प्रवासी डेमोसेले सारस आते हैं। अब संरक्षण रिजर्व घोषित होने से खीचन इन प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित घर बन सकेगा। खीचन प्रवासी क्रेन पक्षियों के लिए भारत का पहला संरक्षण रिजर्व भी है।

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हमीरगढ़, भीलवाड़ा
भीलवाड़ा जिले में स्थित हमीरगढ़ वन क्षेत्र को सरकार ने कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्र बनाने की घोषणा की है। हमीरगढ़ इको पार्क में नीलगाय, मोर, गीदड़, लोमड़ी, चिंकारा, जंगली सुअर, सेही जैसे कई वन्यजीव मौजूद हैं। हमीरगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व बनने से यहां वन्यजीवों को संरक्षण तो मिलेगा ही, साथ ही यह जगह देश के पर्यटन नक्शे पर भी उभरकर आएगी। यहां वन्य जीवों और वनस्पतियों का संरक्षण किया जा सकेगा। हमीरगढ़ ईको पार्क मुख्यालय से करीब 20 किमी की दूरी पर है।