हिटलर के प्रतीक जैसा नहीं है स्वास्तिक, अमेरिकी संगठन चला रहा जागरुकता अभियान
हिंदूओं के धार्मिक प्रतीक स्वास्तिक के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए अमेरिका स्थित धार्मिक संगठन कॉयलिशन ऑफ हिंदूज ऑफ नॉर्थ अमेरिका (CoHNA) ने 14 और 15 जनवरी को #SwastikaIsSacred अभियान शुरू किया है।
THREAD: This weekend, join us for our #SwastikaIsSacred campaign. It’s a festive time marking the movement of the sun into a new cycle & celebrated variously as Makar Sankranti/Pongal/Magh Bihu/ Bhogi/Lohri/Sankrant/Uttarayan or more - so let’s make it more special! How to?👇🏽 1/n pic.twitter.com/99n0ZnHUJl
— CoHNA (Coalition of Hindus of North America) (@CoHNAOfficial) January 13, 2023
संगठन का कहना है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन शासक हिटलर द्वारा उपयोग में लाए गए हेकेनक्रेज और स्वास्तिक के बीच काफी लोग अंतर नहीं कर पाते हैं। ऐसे में यह जागरुकता अभियान चलाना जरूरी है। CoHNA ने इस अभियान के तहत आम लोगों से अपील की है कि वे सूर्य की गति को एक नए चक्र में चिह्नित करने वाले हिंदू पर्व मकर संक्रांति/पोंगल/माघ बिहू/भोगी/लोहड़ी/संक्रांत/उत्तरायण के मौके पर अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल फोटो को स्वास्तिक में बदलें।
इसके अलावा वह अपने घर में, मंदिर में या पवित्र स्थान पर लगे स्वास्तिक के साथ फोटो, वीडियो या फिर लेख लिखकर सोशल मीडिया पर साझा करें और पोस्ट करते समय #SwastikaIsSacred का प्रयोग करें। इसके अलावा स्वास्तिक के गहरे महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए परिवार, दोस्तों, सोशल मीडिया प्रभावित करने वालों, मुख्यधारा की मीडिया, राजनीतिक नेताओं और अन्य लोगों को टैग करें।
CoHNA ने बताया कि दुनिया भर में हिंदुओं, बौद्धों और जैनियों के लिए सबसे पवित्र प्रतीकों में से एक स्वास्तिक के बारे में जागरूकता लाने के लिए यह एक पहल है। हमारी आशा है कि लोग स्वास्तिक और हेकेनक्रेज (हिटलर का घृणा का प्रतीक) के बीच अंतर करना सीख सकते हैं और स्वास्तिक के बजाय इससे मिलते जुलते प्रतीकों की निंदा कर सकते हैं। स्वास्तिक को हजारों साल और कई संस्कृतियों द्वारा शांति, भलाई और शुभ के प्रतीक के रूप में उपयोग किया जाता है। करीब 2 अरब लोग इस पवित्र प्रतीक का उपयोग करते हैं और हजारों सालों से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
CoHNA ने कहा कि नाजी उत्पीड़न से मारे गए 60 लाख से अधिक यहूदियों के आघात को हम पहचानते हैं और स्वीकार करते हैं। हिंदू और सिख भी नाजी विचारधारा के समर्थकों के निशाने पर रहे हैं। हिंदू धर्म शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की मूल अवधारणा में विश्वास करता है और दूसरों के प्रति घृणा को कभी बर्दाश्त नहीं करता। बल्कि हिंदुओं ने यहूदियों, पारसियों, ईसाइयों, बौद्धों और अन्य उत्पीड़ित समुदायों को आश्रय देने का काम किया है। ऐसे में यह जरूरी है कि हम अपने बच्चों को विश्व संस्कृतियों और धर्मों के बारे में उचित ज्ञान दें।