Skip to content

युद्ध के साये में G20 के विदेश मंत्रियों की बैठक और एक हवा-हवाई बयान

दिल्ली में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने स्पष्ट कहा कि अगर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चाहें तो यूक्रेन युद्ध कल ही खत्म हो सकता है। बात सही भी है। लेकिन ब्लिंकन ही नहीं, पूरी दुनिया यह भी जानती है कि ताली एक हाथ से नहीं बज सकती।

एंटनी ब्लिंकन और सर्गेई लावरोव...

G-20 देशों के वित्त और विदेश मंत्री अगर भारत के बेंगलुरू और नई दिल्ली में अपने-अपने सत्रों में हिस्सा लेते हुए संयुक्त बयान पर जोर देने में कामयाब होते तो यह खबर होती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अगर ऐसा हो होता तो इस समय अंतरराष्ट्रीय बिरादरी जिन चुनौतियों का सामना कर रही है, उसे देखते हुए इस आयोजन की गंभीरता को कहीं कुछ ठोस आधार मिल जाता।

इसमें कोई संदेह नहीं कि विश्व नेताओं के सामने इस वक्त रूस-यूक्रेन युद्ध एक जटिल चुनौती है। देखते ही देखते युद्ध दूसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इसके जो नतीजे विकसित, विकासशील और संघर्षरत अर्थव्यवस्थाओं के सामने आ रहे हैं, उनका सामना सबको करना ही होगा। जब से यह युद्ध शुरु हुआ है, तब से एक बात सिरे से गायब रही है और वह है युद्ध की समाप्ति के लिए किया जाने वाला कोई संजीदा और प्रतिबद्ध प्रयास ताकि नफरत के शोलों को शांत किया जा सके।

दिल्ली पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने स्पष्ट कहा कि अगर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चाहें तो युद्ध कल ही खत्म हो सकता है। बात सही भी है। लेकिन ब्लिंकन ही नहीं, पूरी दुनिया यह भी जानती है कि ताली एक हाथ से नहीं बज सकती। राष्ट्रपति पुतिन जंग खत्म करने का फैसला 'कल' कर सकें, इसके लिए अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी जगत को भी अनुकूल स्थितियां बनानी होंगी।

राष्ट्रपति पुतिन पिछले 20 वर्षों से नाटो के विस्तार में उनके देश के सुरक्षा विचारों को शामिल करने की मांग उठा रहे हैं। यूक्रेन को नाटो के करीब जाने के लिए उकसाना, कीव को सभी प्रकार के हथियारों से लैस करना और पुतिन को चेतावनी देना कि पश्चिम आखिर तक इस परिदृश्य में शामिल रहेगा, कुछ ऐसे मसले हैं जो हालात को टस से मस नहीं होने दे रहे। ऐसे में इन परिस्थितियों के लिए केवल रूस को ही जिम्मेदार बताने से कुछ नहीं होगा।

भारत-चीन जैसे कुछ देश शांति के लिए प्रयास करने की बात कह रहे हैं लेकिन ये प्रयास कमजोर हैं। इस युद्ध के जंजाल से रूस-यूक्रेन ही नहीं, पूरी दुनिया को उबारने के लिए बाइडेन प्रशासन को सक्रिय होना चाहिए। एक भयावह और घिनौने अध्याय का अंत करने की ठोस पहल कहीं से तो शुरू होनी चाहिए। जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद संयुक्त वक्तव्य पर तमाम हंगामे के बावजूद, ब्लिंकन और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच बैठक ने एक उम्मीद जगाई है। अमेरिकी पक्ष की ओर से जारी बयान अपेक्षित ही था कि जब तक जंग है. अमेरिका यूक्रेन के साथ है। मॉस्को को नई संधि का रुख करना चाहिए।

10 मिनट तक दोनों देशों के आला अधिकारियों ने जो कुछ कहा, उसकी सबसे अहम बात यह है कि पिछले साल फरवरी से शुरू हुई इस जंग के बाद पहली बार इस तरह संवाद हुआ। दोनों पक्षों के बीच क्या हुआ, इस बारे में मीडिया की अटकलों से ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है। किंतु इतना तय है कि अगर अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन और रूसी राष्ट्रपति पुतिन नई दिल्ली बैठक का इस्तेमाल युद्ध खत्म करने के लिए अपने-अपने विचारों को आगे बढ़ाने के वास्ते करते हैं तो यह इस मंत्रिस्तरीय वार्ता का असली जमाफल होगा।

Comments

Latest