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26/11 हमला: बचने वालों में से एक अंकुर चावला की कहानी, उन्हीं की जुबानी

अंकुर के अनुसार हमने एक तेज आवाज सुनी, मानो गलती से किसी पुरानी शैंपेन की बोतल की कॉर्क खुल गई हो। मैं डर गया कि कहीं बार के बाहर रखी एक खास शैंपेन की बोतल न खुल गई हो। इस डर में मैं बार से बाहर आया लेकिन जब मैं दरवाजे के पास पहुंचा मैंने एक व्यक्ति को गिरते देखा।

आज से 13 साल पहले भारत की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई भयावह आतंकी हमले का शिकार हुई थी। 26 नवंबर 2011 को हुए इस हमले में 160 लोगों की जान चली गई थी और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। भारतीय इतिहास के सबसे भीषण और भयावह आतंकी हमलों में से एक इस हमले ने मुंबई तो मुंबई, पूरे भारत और दुनिया को सकते में डाल दिया था। ऐसे भी कई लोग थे जो इस हमले की जद में थे लेकिन उनकी जान बच गई। ऐसे ही एक शख्स का नाम है अंकुर चावला। इस हमले की 13वीं बरसी पर चावला का कहना है कि आप जीवन में कुछ भी कर रहे हों, एक घटना हमेशा होती है जो यह बताती है कि आप क्या हैं। मेरे लिए यह घटना 26/11 थी। पढ़िए अंकुर की कहानी उन्हीं की जुबानी...

अंकुर कहते हैं कि उस दिन की शुरुआत भी किसी आम दिन की तरह ही हुई थी। हालांकि उस दिन मेरी छुट्टी थी। लेकिन यह मेरी पहली नौकरी थी तो छुट्टी को लेकर मुझे ज्यादा चिंता नहीं थी और मैं मुंबई के ताज महल पैलेस के हार्बर बार में गया हुआ था। आंखों में सपने लिए दिल्ली से मुंबई आए एक युवा के लिए यह ड्रीम जॉब थी। दिन धीरे-धीरे गुजर रहा था और मैं कुछ लोगों से बातचीत कर रहा था। मुंबई शहर की जीवन शैली और शख्सियतों को लेकर बातें हो रही थीं।

अंकुर कहते हैं कि उस दिन की शुरुआत भी किसी आम दिन की तरह ही हुई थी। 

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