स्कूल में गोलीबारी ने डराया तो बना दिया शूटर से बचाने का सिस्टम
उत्तरी कैलिफोर्निया के मोंटे विस्टा हाई स्कूल की सीनियर स्वर्ण्या श्रीवास्तव का जीवन हमेशा स्कूल में गोलीबारी की आशंका के बीच बीता है। जब वह दूसरी कक्षा में थी, तब एक छात्र अपने बैग में बंदूक लेकर स्कूल आ गया था। जब तीसरी में थी, तब एक छात्र हथियार लेकर परिसर में घूम रहा था और उसकी वजह से पूरे स्कूल में तालाबंदी करनी पड़ी गई।
स्वर्ण्या श्रीवास्तव ने न्यू इंडिया अब्रॉड को बताया कि उस वक्त हम बहुत लंबे समय तक खौफ के साये में सभी लाइटें बंद करके संगीत कक्ष में कैद रहे थे। जब श्रीवास्तव चौथी कक्षा में थी और उसके स्कूल में शीतकालीन पार्टी चल रही थी, तभी धमकी मिली कि एक शूटर बंदूक के साथ परिसर में आने वाला है।
वर्ष 1999 के कोलंबिन हाई स्कूल नरसंहार के बाद से अमेरिका में 386 स्कूलों में गोलीबारी हो चुकी है जिसमें अपराधियों सहित 14 बच्चे और एक शिक्षक की मौत हो चुकी है। अधिकृत आंकड़ों के अनुसार स्कूलों में गोलीबारी में 200 से अधिक बच्चे मारे जा चुके हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं। एजुकेशन वीक के मुताबिक इस साल स्कूलों में गोलीबारी की 23 घटनाएं हो चुकी हैं। स्कूलों में गोलीबारी के खतरे ने देश के युवाओं के सामने एक अभूतपूर्व मानसिक स्वास्थ्य संकट पैदा कर दिया है। पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि 3,86,000 से अधिक बच्चे गोलीबारी देख चुके हैं और इसके गंभीर परिणामों से संघर्ष करने को मजबूर हैं।
24 मई 2022 को श्रीवास्तव कक्षा में थीं, जब उन्होंने टेक्सास के उवाल्डे में रॉब एलीमेंट्री स्कूल में गोलीबारी के बारे में सुना था। यह स्कूलों पर हुए अब तक के सबसे घातक हमलों में एक था। इस घटना में 19 छोटे बच्चे और दो शिक्षक मारे गए। बच्चों की उम्र 12 वर्ष से कम थी। उवाल्डे गोलीबारी की घटना ने श्रीवास्तव और तीन दोस्तों को कुछ करने के लिए प्रेरित किया। श्रीवास्तव ने कहा कि मैं वाकई बहुत दुखी थी कि अमेरिका में स्कूली गोलीबारी की घटनाएं कितनी आम हो चुकी हैं। मुझे लगा कि मुझे इस दिशा में कुछ करना चाहिए।
इसके बाद श्रीवास्तव ने रेबेका वांग, ऑड्रे वांग और केटलिन गुयेन के साथ मिलकर SIREN प्रणाली बनाई। यह सेंसर पर आधारित सिस्टम है जो स्कूल परिसर के हर कमरे में रखा जा सकता है। गोलियों की आवाज़ का पता चलते ही यह सिस्टम सभी छात्रों, शिक्षकों, प्रशासकों, स्कूल जिले और पुलिस को एक अलर्ट भेज देता है। इससे छात्र और शिक्षक तुरंत सुरक्षा उपाय कर सकते हैं, और जान गंवाने का खतरा काफी हद तक कम हो सकती है।
श्रीवास्तव ने कहा कि टीम ने कोई ऐप नहीं बनाया क्योंकि कई छात्रों के पास केवल फ्लिप फोन होते हैं जो ऐप्स को सपोर्ट नहीं करते। इस सिस्टम को 3-डी प्रिंटर पर बने 6x3 आवरण में रखा जाता है। इसमें एक माइक्रोफोन लगा रहता है जो बंदूक की गोली की आवाज को सुनकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जरिए पहचान लेता है। श्रीवास्तव ने बताया कि इस सिस्टम का प्रोटोटाइप तैयार करने में 90 डॉलर का खर्च आया ।
SIREN टीम ने हाल ही में कॉनराड चैलेंज में भाग लिया जो 13-18 आयु वर्ग के किशोरों के लिए एक प्रतिष्ठित प्रतियोगिता है। इसका उद्देश्य उद्यमियों की अगली पीढ़ी तैयार करना है। 2022-23 में हुई प्रतियोगिता में 50 देशों के 2800 छात्रों ने भाग लिया था। फाइनलिस्टों ने 12-15 अप्रैल को ह्यूस्टन, टेक्सास में कॉनराड चैलेंज इनोवेशन समिट में भाग लिया। इस दौरान चार श्रेणियों में से एक में चार अन्य टीमों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा की। ये थी एयरोस्पेस व एविएशन; साइबर प्रौद्योगिकी व सुरक्षा; ऊर्जा व पर्यावरण और स्वास्थ्य व पोषण। सभी श्रेणियों के फाइनलिस्टों में भारतीय अमेरिकी किशोरों की भारी हिस्सेदारी रही।
शिखर सम्मेलन के पहले दिन SIREN टीम ने पूंजीपतियों और अन्य उद्यमियों से 8 मिनट की बातचीत की जिसके बाद पैनल ने 20 मिनट तक उनसे प्रश्न पूछे। अगले दिन सभी टीमें अपनी परियोजनाओं का प्रदर्शन करने के लिए नासा गईं। श्रीवास्तव ने कहा कि बहुत से आगंतुकों ने हमें बताया कि वे कितने खुश हैं कि हम इस मुद्दे का समाधान कर रहे हैं। कॉनराड चैलेंज के जजों ने भी बहुत अच्छी प्रतिक्रिया दी। इसी की बदौलत टीम को साइबर प्रौद्योगिकी और सुरक्षा प्रभाग में प्रथम स्थान मिला।
श्रीवास्तव ने कहा कि अभी प्रोटोटाइप को ठीक करने की जरूरत है और इसका फील्ड ट्रायल होना चाहिए। जीथब के संस्थापक और सीईओ टॉम प्रेस्टन वर्नर सहित अन्य तकनीकी पेशेवरों ने इस डिवाइस को विकसित करने में रुचि दिखाई है।
श्रीवास्तव का कहना है कि वह 2024 में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई के लिए कॉलेज जाएगी। उसे कोडिंग का शौक है। वह कई कोडिंग प्रोजेक्टों में हिस्सा लेती रहती है। इनमें रेशमा सौजानी की कोड विद क्लॉसी, AI4ALL और गर्ल्स हू कोड शामिल हैं।
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