भारत की पुरानी दिल्ली कई मायनों में ऐतिहासिक और अनूठी रही है। मुगलों ने यहीं से पूरे देश का राजकाज चलाया तो अंग्रेजों ने भी भारत पर कब्जा करने के बाद लाल किला से भारत को व्यवस्थित किया। आजादी मिलने के बाद भी पुरानी दिल्ली देश के लिए विशेष बनी हुई है, क्योंकि स्वतंत्रता दिवस पर यहीं पर स्थित लाल किला से सभी प्रधानमंत्री देश को लगातार संबोधित करते आ रहे हैं। आज हम आपको वो पुराना दौर याद दिलाते हैं, जब लालकिला पर आजादी का जश्न देखने के लिए लाखों लोग उमड़े चले आते थे। उस दौर में पुरानी दिल्ली में उत्सव का माहौल रहता था। मेले-ठेले आयोजित होते थे और रात तक लोग वहां पुरानी दिल्ली के कल्चर का आनंद उठाया करते थे। अब वो बात नहीं रही। बढ़ती सुरक्षा-व्यवस्था ने इस उत्सव को औपचारिक बना दिया है।
दिल्ली के बुजुर्गों से बात करो तो वे आजादी के शुरुआती सालों की पुरानी यादों में खो जाते हैं। उनकी बातें खासी विस्मय पैदा करती हैं कि उस समय लालकिला और आसपास आजादी के जश्न में देशभक्ति, कुछ करने की ललक और आजादी का गुमान भरा था। वे बताते हैं कि उस वक्त लालकिला के सामने सिर्फ चांदनी चौक था और जामा मस्जिद के आसपास न तो मीना बाजार था और न ही अन्य मार्केट। पूरा इलाका खुला था। न तो सुरक्षा की बंदिशें थी और न ही कोई खतरा। जहां देखो गांधी टोपी धारण किए हुए लोगों का हुजूम नजर आता।