भारत स्थित उत्तर प्रदेश के राज्य आगरा में बने ताजमहल के इतिहास को लेकर देश-विदेश में कई किताबें लिखी गई हैं। ताजमहल के निर्माण और उसके बाद के मसलों को लेकर अनेक कथाएं प्रचलित हैं। इसके इतिहास को लेकर कभी-कभी विवाद भी होते रहे हैं। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ‘प्रेम का प्रतीक’ यह स्मारक पूरे विश्व को आकर्षित करती रही है। यह विश्व की ऐसी विरासत है जो सफेद संगमरमर से बनाई गई है। असल में ताजमहल एक प्रेम है, जुदाई है, दुख है और उससे उपजी एक कविता है। ताजमहल की एक विशेषता यह है कि कवियों, लेखकों को इसने खूब आकर्षित किया है। साहित्य में जितना कुछ ताजमहल के बारे में लिखा गया है, उतना शायद ही विश्व की किसी इमारत के बारे में लिखा गया हो। तभी तो कहा गया है कि
इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल।
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है।।

मुगल बादशाह शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण अपनी बेगम मुमताज महल की याद में करवाया था। ताजमहल में शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज महल की कब्र है। ताजमहल के निर्माण की शुरुआत वर्ष 1631 में की गई थी। ताजमहल के मुख्य मकबरे का निर्माण 1648 में खत्म हो गया था। कहा भी गया है कि शाहजहां ने अपनी पत्नी के गम में इस भव्य स्मारक को बनाकर पूरे विश्व को प्रेम की एक निशानी दी है, जो आज तक सभी के लिए हैरानी, प्रेम, त्याग का प्रतीक बनी हुई है।
जिन्दा है शाहजहां की चाहत अब तक,
जवान है मुमताज की उल्फत अब तक।
जाकर देखो ताजमहल को यारो,
पत्थर से भी टपकती है मोहब्बत अब तक।।