USFDA ने उठाए सवाल, भारतीय कंपनी ने वापस लिए 24 हजार इंजेक्शन

भारतीय कंपनी सन फार्मास्युटिकल को अमेरिकी बाजार से बांझपन की दवा की 24,194 सीरिंज वापस लेनी पड़ी हैं। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) की एक हालिया रिपोर्ट में इन दवाओं के निर्माण पर सवाल उठाए जाने के बाद ये कार्रवाई की गई है। कंपनी की कई दवाओं पर पहले भी आरोप लग चुके हैं।

सन फार्मा ने अमेरिकी बाजार से बांझपन की दवा की 24,194 सीरिंज वापस ली हैं। सांकेतिक Photo by Hennie Stander / Unsplash

कैलिफोर्निया बोर्ड ऑफ फार्मेसी के अनुसार ये सीरिंज USFDA की आवश्यक गुणवत्ता जांच में खरी नहीं उतरी थीं। इस सिरिंज में Fyremadel यानी Ganirelix एसीटेट दवा भरी थी। आरोप है कि उसके इंजेक्शन में कांच के कण दिखे थे। इसके बाद उसके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। जांच करने पर पता चला कि सिरिंज को ठीक से नहीं भरा गया था इस वजह से ये खराबी आई थी।

इस सिरिंज को अमेरिका में न्यूजर्सी की फेरिंग फार्मास्यूटिकल्स द्वारा वितरित किया गया था। कंपनी पहले भी सन फार्मा के साथ व्यापार कर चुकी है। दवाओं को वापस लेने की यह पहली घटना नहीं है। बोर्ड ऑफ फार्मेसी के नोटिस के अनुसार अमेरिका में जून 2019 से जून 2020 के बीच गैनिरेलिक्स एसीटेट इंजेक्शन के सात लॉट डिस्ट्रिब्यूट किए गए थे जबकि इनकी एक्सपायरी डेट मार्च 2021 थी। इसके बाद इन्हें वापस ले लिया गया था।

इसके अलावा सन फार्मा ने इस साल की शुरुआत में अमेरिकी बाजार से हाई ब्लड प्रेशर की जेनेरिक दवा डिल्टियाजेम हाइड्रोक्लोराइड की 34,000 बोतलें खुद वापस ले ली थीं। इस रिकॉल की वजह एफडीए की लैब में परीक्षण के दौरान खरा न उतरना था।

सन फार्मा की एक मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट यूएस एफडीए के नियमों के उल्लंघन के आरोप में पहले से संकट में है। यूएस एफडीए ने पिछले साल गुजरात के हलोल में कंपनी के प्लांट का 13 दिन तक परीक्षण किया था। उसके बाद दिसंबर में कंपनी को चेतावनी पत्र जारी किया था। यूएस एफडीए का आरोप था कि कंपनी अपने दवा उत्पादों को दूषित होने से रोकने के लिए उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं कर रही है।

बता दें कि अमेरिका भारत से दवा उत्पादों का सबसे बड़ा आयातक है। नवंबर 2022 की रिपोर्ट बताती है कि साल 2021-22 के दौरान अमेरिका को भारत से 7,101 मिलियन डॉलर की दवाओं का निर्यात हुआ था। 2021-22 में भारत का फार्मा निर्यात 24.62 अरब डॉलर से अधिक रहने का अनुमान लगाया गया था। भारत जेनरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक है। टीकों में उसका योगदान लगभग 60% है। वह दुनिया को कम लागत में वैक्सीन उपलब्ध कराता है।

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