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विशेष लेख: भविष्य की दुनिया के खौफनाक अपशकुन, कौन राह दिखाएगा?

इसमें कोई शक नहीं कि यूक्रेन न सिर्फ यूरोप बल्कि पूरी दुनिया के लिए इस वक्त सबसे संवेदनशील क्षेत्र है। नेताओं की बात करें तो लगता है कि उनमें से बहुत से जमीनी सच्चाइयों को अनदेखा करके अलग ही रास्ते पर चल रहे हैं।

भारत और कई देशों में लोगों ने 2 अक्टूबर को एक ऐसे व्यक्ति को नमन किया, जो खासतौर से दो चीजों के लिए खड़े रहे: शांति और अहिंसा। ये व्यक्ति थे महात्मा गांधी। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति और हिरोशिमा व नागासाकी पर भीषण परमाणु बमबारी के लगभग आठ दशक बाद भी ऐसा लगता है कि दुनिया अब तक महात्मा गांधी की शिक्षाओं का सार समझ पाने में नाकाम रही है।

यूक्रेन में संवेदनहीन संघर्ष से यूरोप में अशांति और उत्तर कोरिया के किम जोंग उन की पूर्वी एशिया में उकसाऊ हरकतें ऐसी दो वजहें हैं, जिनसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय अनिश्चित भविष्य में फंसा हुआ है। इसमें चीन की ताइवान में युद्ध की धमकियां आग में घी का काम कर रही हैं। यूक्रेन में युद्ध को ऊपरी मोर्चे पर ले जाने की पागलपन जैसी धमकियां हालात को हद दर्जे का खतरनाक बना रही हैं।

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