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UK की भारतीय सांसद ने क्यों कहा कि कुछ पुरुष राजनेता 'जानवरों की तरह व्यवहार करते हैं'

भारत के गोवा में जन्मीं ब्रिटेन की कैबिनेट मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने कहा कि पुरुषों का एक बहुत छोटा समूह संसद की गरिमा खराब कर रहे हैं। ये पशुओं की तरह व्यवहार करते हैं और संसद को बदनाम करते हैं।

भारत के गोवा में जन्मीं ब्रिटेन की कैबिनेट मंत्री सुएला ब्रेवरमैन भी ब्रिटेन की संसद से जुड़े हालिया विवाद में कूद गई हैं। बीते दिनों ब्रिटेन के एक सांसद को संसद सत्र में मोबाइल पर पोर्न वीडियो देखते हुए पकड़ लिया गया था, जिसको लेकर ब्रेवरमैन ने कहा कि यह सही है कि कुछ पुरुष नेता दरअसल पशुओं की तरह व्यवहार करते हैं।

ब्रेवरमैन ने यह बयान बीबीसी के एक रेडियो इंटरव्यू में दिया। उन्होंने कहा कि वह इस बात को लेकर शर्मिंदा हैं कि जिस सांसद पर संसद में पोर्न देखने का आरोप लगा है, वह उनकी ही पार्टी के हैं। 42 वर्षीय ब्रेवरमैन ने कहा कि मेरा व्यक्तिगत अनुभव है। मैं 7 साल से सांसद हूं और कंजरवेटिव पार्टी में हूं।

उन्होंने कहा कि मैं 20 साल से राजनीति का हिस्सा हूं। मुझे कभी भी असहज महसूस नहीं होना पड़ा। राजनीतिक जीवन में मैंने जिन भी पुरुषों के साथ काम किया वे सभी सम्मानजनक रहे। लेकिन पुरुषों का एक बहुत छोटा समूह संसद की गरिमा खराब कर रहे हैं। यह ऐसे हैं मानों एक खराब सेब। ये पशुओं की तरह व्यवहार करते हैं और संसद को बदनाम करते हैं।

मालूम हो कि इस हफ्ते की शुरुआत में ब्रिटेन की एक मंत्री ने एक कंजरवेटिव सांसद पर हाउस ऑफ कॉमन्स के चैंबर में एक डिवाइस पर पोर्नोग्राफी देखने का आरोप लगाया है। जिसकी जांच की जा रही है। इस मामले पर ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने एक प्रेस वार्ता में कहा था कि किसी भी शख्स का वर्क प्लेस पर इस तरह की हरकत करना बिलकुल अस्वीकार्य है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या काम करते हो, बस वर्क प्लेस पर इस तरह के वीडियो बिलकुल नहीं देख सकते। ये अस्वीकार्य है।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि ब्रिटेन में वर्तमान संसदीय शिकायत योजना ICGS को साल 2018 में सांसदों के यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों से निपटने के लिए स्थापित किया गया था। यह एक नई स्वतंत्र प्रक्रिया है जिसमें बदमाशी, उत्पीड़न या यौन दुराचार के मामलों में दोषी पाए जाने वाले सांसद को निलंबित कर दिया जाता है। सांसद को कम से कम 10 दिनों के लिए निलंबित किया जाता है। मामला गंभीर है तो याचिका में उपचुनाव की मांग की जा सकती है।

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