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सिंगापुर की बार परीक्षा में नकल करने वालों में तीन भारतीय, सार्वजनिक हुए नाम

पांच प्रशिक्षु वकीलों ने परीक्षा के छह प्रश्नपत्रों के उत्तर व्हाट्सएप के जरिए साझा किए थे। जबकि अंतिम ने दूसरे अभ्यर्थी के साथ मिलीभगत करके तीन प्रश्नपत्रों में नकल की थी। छह लोगों में तीन भारतीय मूल के प्रशिक्षु वकील (ट्रेनी लॉयर) भी शामिल हैं।

एक ओर जहां कई भारतीय पूरी दुनिया में अपनी योग्यता का लोहा मनवा रहे हैं और देश का सिर गर्व से ऊंचा कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी हरकतों से शर्मिंदा होने पर मजबूर कर देते हैं। यह मामला सिंगापुर का है, जहां साल 2020 में बार (कानून) परीक्षा में नकल करने वाले छह लोगों में तीन भारतीय मूल के प्रशिक्षु वकील (ट्रेनी लॉयर) भी शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सिंगापुर के हाईकोर्ट के न्यायाधीश चू हान टेक ने बुधवार को उनके नाम हटाने के आदेश को रद्द कर दिया। मामले नामजद छह लोगों में भारतीय मूल के मोनिशा देवराज, कुशाल अतुल शाह और श्रीराम रविंदरन शामिल हैं। इसके अलावा चीनी मूल के लिन कुएक यी टिंग, मैथ्यू चाउ जुन फेंग और लियोनेल वॉन्ग चूंग यूंग भी नामजद हैं।

न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे पेशे में जहां हर सदस्य को बेहद ईमानदार होना चाहिए बेईमानी एक बहुत बड़ी समस्या है।

न्यायाधीश चू ने कहा कि शुरुआत में मैं यह मानता था कि आवेदकों के नामों को हटाने से उन्हें चुपचाप और असमान रूप से जुर्माना भरने के बाद जाने दिया जाएगा। लेकिन अब मैं समझता हूं कि इनके नाम छिपाने के बजाय सार्वजनिक किए जाने चाहिए।' उन्होंने पिछले सप्ताह कहा था कि ऐसे पेशे में जहां हर सदस्य को बेहद ईमानदार होना चाहिए, बेईमानी एक बहुत बड़ी समस्या है।

हालांकि न्यायाधीश ने यह भी कहा था कि किसी के पेशेवर करियर को शुरू होने से पहले ही खत्म कर देना भी सही नहीं है। बता दें कि पांच प्रशिक्षु वकीलों ने परीक्षा के छह प्रश्नपत्रों के उत्तर व्हाट्सएप के जरिए साझा किए थे। जबकि अंतिम ने दूसरे अभ्यर्थी के साथ मिलीभगत करके तीन प्रश्नपत्रों में नकल की थी।

अदालत ने सभी को सजा सुनाते हुए पांच प्रशिक्षु वकीलों को छह महीने के लिए बार परीक्षा में आवेदन करने से प्रतिबंधित कर दिया है। वहीं एक के लिए यह अवधि एक साल निर्धारित की है।

सिंगापुर में वकालत करने के लिए कानून स्नातकों के लिए 'पार्ट बी' नाम की परीक्षाओं के एक समूह को बार में प्रवेश पाने के लिए पास करना जरूरी है। वहीं अनुमोदित विदेशी विश्वविद्यालयों से स्नातक करने वाले कानून के छात्रों को 'पार्ट ए' नाम की परीक्षा पास करनी होती है।

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