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धार्मिक अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ते अमेरिकी नौसेना के 3 सिख रंगरूट

सिख कोएलिशन की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि तीनों रंगरूटों के वर्तमान आवास के लिए प्रशिक्षण के दौरान उन्हें अपनी आस्था की सभी वस्तुएं त्यागनी होती हैं। इससे वे अपनी आस्था और सेवा के करियर के बीच चयन करने के लिए मजबूर होते हैं।

अमेरिकी नौसेना के तीन सिख रंगरूट बेसिक ट्रेनिंग के दौरान अपनी धार्मिक आस्था की सभी वस्तुएं साथ रखने को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके साथ ही तैनाती के दौरान उन्होंने दाढ़ी रखने की अनुमति देने की मांग भी की है। मामले की सुनवाई हाल ही में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रिचर्ड जे लियोन के सामने हुई थी।

मिलाप सिंह चहल, एकाश सिंह और जसकीरत सिंह की ओर से सिख कोएलिशन, विंस्टन एंड स्ट्रॉन एलएलपी, बेकेट फंड फॉर रिलिजियस लिबर्टी और बेरकहोस्टेटलर के वकीलों ने जिरह की। इन संगठनों ने सिख अमेरिकन वेटरंस अलायंस (SAVA) के सहयोग के साथ तीनों जवानों और यूएसएमसी कैप्टन सुखबीर सिंह तूर की ओर से अप्रैल में अमेरिकी रक्षा विभाग के खिलाफ मामला दायर किया था।

सिख कोएलिशन की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि तीनों रंगरूटों के वर्तमान आवास के लिए प्रशिक्षण के दौरान उन्हें अपनी आस्था की सभी वस्तुएं त्यागनी होती हैं। इससे वे अपनी आस्था और सेवा के करियर के बीच चयन करने के लिए मजबूर होते हैं। कोएलिशन की वरिष्ठ वरील जिसेल क्लैपर ने कहा कि मरीन कॉर्प्स ने अपने कथित सख्त मानकों में अपवाद बनाए हैं जो महिलाओं के बालों की लंबाई और स्टाइल में एकरूपता तय करते हैं। इसके अलावा अन्य मामलों में भी ऐसे अपवाद मौजूद हैं।

विंस्टन एंड स्ट्रॉन एलएलपी में पार्टनर अमनदीप एस सिद्धू ने कहा कि आस्था की वस्तुओं के लिए धार्मिक अपवाद अब व्यक्तित्व का संकेतक नहीं रह गई हैं और निश्चित तौर पर इनका महत्व भी कम नहीं है। उन्होंने कहा कि हम अक्सर अपने सैन्य और नागरिक नेताओं से सुनते रहते हैं कि विविधता हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत है। विज्ञप्ति में कहा गया कि अब तक सिख कोएलिशन, एसएवीए और इसके भागीदार अमेरिकी सेना और वायु सेना में 50 से अधिक सिख-अमेरिकियों को उनकी सुविधाएं दिलाने में मदद कर चुके हैं।

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